Farmers Protest LIVE Updates: भारतीय कबड्डी टीम के कोच सांगवान बोले- किसानों की मांग नहीं मानी तो लौटा दूंगा अर्जुन अवॉर्ड
दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन का आज 18वां दिन है. किसान यूनियन की पंजाब इकाई ने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को शनिवार को बंद करने की चेतावनी दी थी. लेकिन हाईवे बंद कराने कोई नेता पहुंचा ही नहीं. संगठन ने अब रविवार को हाईवे पर आवाजाही ठप करने की बात कही है. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बने रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...
आम आदमी पार्टी गोपाल राय ने कहा, 'कल दिल्ली में ITO पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों और पार्षदों द्वारा सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक किसानों के समर्थन में सामूहिक उपवास किया जाएगा. आम आदमी पार्टी किसानों की मांगों के समर्थन में पूरी तरह से हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है.'
किसानों द्वारा जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को बंद करने की योजना के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी की हरियाणा से लगती सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है. शहर की पुलिस ने अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती करके और ज्यादा संख्या में कंक्रीट के अवरोधकों लगाकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यात्रियों को असुविधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, "दो कदम अगर किसान आगे बढ़ेगा तो दो कदम सरकार आगे बढ़ेगी और इसका हल निकालें. वरना, इन लोगों ने तो 60 साल सिर्फ राजनीति की थी और आज भी ये किसान का इस्तेमाल कर आगे बढ़ना चाहते हैं. हम किसानों और उनके प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं. मुझे लगता है कि जल्द ही अगली बैठक होगी."
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदेालन की मध्य प्रदेश में भी सुगबुगाहट तेज होने लगी है. किसानों का भोपाल में आंदोलन चल रहा है तो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र से दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरु होने वाला है. इसी बीच बीजेपी ने भी किसानों के बीच जाकर कानूनों की हकीकत बताने का फैसला लिया है.
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना ही किसानों की एकमात्र मांग है और कुछ 'कॉस्मेटिक' संशोधनों से इन कानूनों को किसान हितैषी नहीं बनाया जा सकता है. 1980 से 2009 तक लगातार आठ बार लोकसभा के सदस्य रह चुके मोल्लाह ने इन कानूनों को किसानों की 'मौत का परवाना' करार देते हुए कहा कि जब सरकार 70 साल पुराने श्रम कानूनों को एक झटके में खत्म कर सकती है तो इन कानूनों को खत्म क्यों नहीं कर सकती.
दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर पहला प्रमुख किसान आंदोलन स्थल सिंघु बॉर्डर, किसानों के धरने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने के साथ किसानों के प्रदर्शन के लिए एक प्रभावशाली केंद्र बन गया है. आंदोलन का मैदान, जहां अधिकांश किसान पंजाबी हैं, अब उन सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जो इनके समर्थन में खड़े हैं. देशभर के गायक, पहलवान और राजनेता किसानों के समर्थन में आए हैं, सिंघु बॉर्डर पहुंचकर किसानों से मिले हैं.
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'किसानों ने उस वक्त जो बातें कहीं थी जब सरकार उन सारी चीजों को मान रही है तो दुविधा का सवाल कहां खड़ा होता है? दुविधा सिर्फ उन ताकतों ने खड़ी करने की कोशिश की है जो 6 सालों से हर मुद्दे पर देश में दुविधा पैदा कर रही हैं.'
हरियाणा में चरखी-दादरी के जिलाधीश राजेश जोगपाल ने पूरे जिले में धारा-144 लगाए जाने के आदेश दिए हैं. कुछ किसान संगठनों के आह्वान पर 12 से 14 दिसंबर तक होने वाले विरोध-प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किए गए हैं.
आज सुबह 11 बजे राजस्थान के शाहजहांपुर से किसान दिल्ली के लिए कूच करने वाले हैं. संडे के दिन दिल्ली को सील करने की पूरी तैयारी कर रखी है. पंजाब और हरियाणा से दिल्ली के लिए किसानों का जत्था निकल चुका है. वहीं दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर को 12 दिनों बाद खोल दिया गया है. किसान कृषि कानून रद्द करने की अपनी मांग पर अभी भी अड़े हुए हैं.
नए कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को किसानों ने कई टोल प्लाजा को टोल मुक्त करा दिया, जबकि खंदौली में यमुना एक्सप्रेस-वे, आगरा-अलीगढ़ राजमार्ग पर पुलिस और किसानों के बीच तनातनी हो गई. पुलिस ने कई किसानों को हिरासत में ले लिया. टोल प्लाजा और राजमार्ग पर पुलिस बल को तैनात किया गया. किसान नेताओं को नजरबंद भी किया गया है.
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान शनिवार को हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राजमार्गों के ‘टोल प्लाजा’ पर एकत्र हुए. साथ ही, उन्होंने दावा किया कि जल्द ही दिल्ली की सीमाओं पर और भी हजारों लोग पहुंचेंगे और अपने आंदोलन को तेज करेंगे.
जमात-ए-कइस्लामी हिंद (जेआईएच) ने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों को लाभ देने के लिए देश के कृषि कानूनों को बदला जा रहा है. इस्लामिक संस्था के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों को जेआईएच समर्थन देता है. देश के कृषि कानूनों को बदलना बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने की योजना का हिस्सा है.
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को आरोप लगाया कि विपक्षी दल किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. मौर्य ने कहा, ‘‘किसान हमारे अन्नदाता हैं. उन्हें किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है. उन्हें आश्वस्त हो जाना चाहिए कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) या मंडी की व्यवस्था खत्म नहीं की जाएगी.’’
हरियाणा के किसानों के एक समूह ने कानूनों में आवश्यक संशोधन के लिए केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. अपने छह-सूत्रीय स्वीकृति पत्र में किसानों ने कहा है, "हम सरकार की ओर से प्रस्तावित संशोधनों के साथ तीन कृषि कानूनों को जारी रखने के लिए तैयार हैं. केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए भेजे गए नए संशोधन प्रस्तावों के साथ इन कानूनों को जारी रखा जाना चाहिए. हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) को जारी रखने के बारे में आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाई गई मांगों का समर्थन करते हैं."
तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की पंजाब इकाई ने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को शनिवार को बंद करने की चेतावनी दी थी. लेकिन हाईवे बंद कराने कोई नेता पहुंचा ही नहीं. संगठन ने अब रविवार को हाईवे पर आवाजाही ठप करने की बात कही है. दरअसल, भारतीय किसान यूनियन ने अपने स्थानीय नेताओं को शनिवार को दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद करने की जिम्मेदारी दी थी.
नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाले एक मुख्य मार्ग को देर रात फिर से खोल दिया गया. चिल्ला बार्डर पर किसानों के धरना प्रदर्शन के चलते एक दिसंबर से नोएडा-दिल्ली लिंक रोड अवरूद्ध था. नोएडा के उप पुलिस आयुक्त (डीसीपी) राजेश एस ने देर रात बताया, "किसान प्रदर्शन स्थल को खाली करने के लिए राजी हो गए और सड़क पूरी तरह से फिर से खुल जाएगी. कुछ प्रदर्शनकारी वहां अभी भी हैं लेकिन वे जल्द ही इसे खाली कर देंगे."
कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में तेजी आती नजर आ रही है. एक तरफ जहां इस आंदोलन को धार देने के लिए राजस्थान के किसान भी सामने आते नजर आ रहे हैं तो वहीं सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने भी पूरी तैयारी कर रखी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने तंज कसते हुए कहा, "आज बारिश आएगी इससे बचने का तरीका ढूढंगे कि कैसे खुले में आने वाले लोगों को बचाना है. अपनी झोंपड़ी और अपनी पराली को गीला होने से बचाएंगे. अगर ये भीग गई तो किसानों को दिक्कत होगी."
भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के कार्यकर्ताओं ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे, राष्ट्रीय राजमार्ग- 91 और सिरसा रामपुर के पास टोल मुक्त करा कर अपना विरोध जताया है. इस दौरान वाहन चालक बिना टोल दिए आराम से टोल बैरियर से पास हुए. भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष (युवा) गौरव टिकट के नेतृत्व में कार्यकर्ता सुबह से ही सिरसा, रामपुर टोल पर जुटने शुरू हो गए थे.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार का मकसद किसानों की माली हालत में सुधार लाना है और इसके लिए चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अहम कदम उठाए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलना शुरू भी हो गया है.
यूपी के एडीजी ने कहा, 'अभी तक किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है. कोई शरारती तत्व किसानों के बीच घुसकर अव्यवस्था न फैलाए, हम इसका भी ध्यान रख रहे हैं. जो लोग अशांति फैलाना चाहते हैं और प्रदर्शन को हिंसात्मक रूप देना चाहते हैं उन पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है.'
पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कब्जा कर लिया है. उन्होंने यहां से गुजर रहे वाहनों को बिना कोई शुल्क दिए गुजरने दिया. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के गृहनगर करनाल में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बस्तरा टोल प्लाजा और करनाल-जींद राष्ट्रीय राजमार्ग 709-ए पर पिऑन्ट टोल प्लाजा को बंद कर दिया है.
भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलन पर हैं. किसान आंदोलन की थाह लेने योगी आदित्यनाथ पश्चिमी यूपी के दौरे पर निकल पड़े हैं. अपने इस दौरे में यूपी के मुख्यमंत्री बीजेपी के सांसदों, विधायकों और लोकल नेताओं से लंबी बातचीत करेंगे. योगी की पश्चिमी यूपी यात्रा का ख़ास मक़सद किसान आंदोलन से निपटना और उन्हें अपना बनाना है.
कृषि सुधार कानूनों के एलान के बाद से प्रधानमंत्री मोदी अलग अलग मंचों पर 25 से ज्यादा बार इसके बारे में बात कर चुके हैं. 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से लेकर बिहार चुनाव तक पीएम मोदी ने इन कानूनों के बारे में बताया. प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में तीनों कृषि कानूनों के हर पहलू को समझाया. कानूनों को लेकर किसानों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की.
किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा, गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है. आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है. टिकरी और धानसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं हालांकि झाटीकरा सीमा दो पहिया वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए खुली है.
किसानों द्वारा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने आज शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं. प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं.
कांग्रेस ने दावा किया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 11 किसानों की मौत हो गई. इसके बाद भी केंद्र की भाजपा सरकार का दिल नहीं पसीज रहा. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, "कृषि कानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी?"
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसान कुरुक्षेत्र से दिल्ली की तरफ आ रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम 6 महीने का राशन साथ लेकर आए हैं. हमारे साथ करीब 1200 ट्रॉली जा रही हैं."
दिल्ली-आगरा हाईवे और बदरपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने अपनी तैयारियां कर ली है. बैरिकेड कटीले तारों के साथ यहां पर लगाए गए हैं. दिल्ली पुलिस की फिलहाल तीन कंपनी फोर्स लगाई की गई है. किसान होडल की तरफ मौजूद हैं, जो दिल्ली से काफी दूर है. अगर किसान दिल्ली की तरफ बढ़ते हैं और यहां पहुंचते हैं तो उनको अंदर घुसने से रोका जा सके, हाईवे को बंद करने से रोका जा कर जा सके, इसी को लेकर दिल्ली पुलिस ने अपनी तैयारियां कर ली है.
दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि सिंघु, टिकरी और ढांसा बॉर्डर यातायात के लिए बंद है जबकि झटीकरा बॉर्डर केवल दो पहिया वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए खुला है. हरियाणा जाने वाले झारौदा, दौराला, कापसहेड़ा, बडूसराय, रजोकरी, एनएच-आठ, बिजवासन-बजघेड़ा, पालम विहार, डुन्डाहेड़ा बॉर्डर की तरफ से जा सकते हैं.
यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि हमारे अन्नदाता किसान अब फसल के साथ बिजली भी पैदा करेंगे. पूरे प्रदेश में इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. अतिरिक्त ऊर्जा या नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग कर किसान बंजर भूमि पर सोलर ऊर्जा प्लांट लगाएंगे और उत्पादित बिजली का अपने उपभोग के बाद शेष को उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन को बेच देंगे. इससे उनकी आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी हासिल होगा.
टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह आज 39 साल के हो गए हैं. किसान आंदोलन के समर्थन में युवराज सिंह ने इस साल बर्थडे सेलिब्रेट नहीं करने का फैसला किया है. बर्थडे के दिन अपनी इच्छा जाहिर करते हुए युवराज सिंह ने कहा है कि वह चाहते हैं किसानों की सारी मांगें जल्द से जल्द पूरी हो जाएं.
एक इंडिगो चालक दल को 'भारत बंद' के दिन चंडीगढ़ के पास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जाने के दौरान सड़क के पास खेतों के बीच एक संकीर्ण रास्ते पर अपना सामान खींचते हुए देखा गया, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' मनाया था.
दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि इस कानून का फायदा कॉरपोरेट कंपनियों को होगा, क्योंकि कानून उन्हीं के हितों का ध्यान में रखकर बनाया गया है. नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसानों को एक बड़ी आशंका है कि इस कानून के तहत करार का निपटारा एसडीएम के स्तर पर होने से गरीब किसान को न्याय नहीं मिल पाएगा. इस मसले पर सरकार ने उन्हें मौजूदा प्रावधान के साथ-साथ सिविल कोर्ट जाने का प्रावधान कानून में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है.
सरकार की ओर से गठित समिति के अध्यक्ष अशोक दलवई ने नए कानून में किसानों के लिए पांच फायदे गिनाए
1. फसलों की कटाई के बाद कीमतों में जो उतार-चढ़ाव होता है उसके बारे में किसानों को पहले पता नहीं होता है, लेकिन करार में कीमत पहले ही तय हो जाएगी, जिससे किसानों को पहले से तय कीमत मिलने का भरोसा रहेगा.
2. किसानों को एक्सटेंशन टेक्टनोलॉजी मिलेगी. मतलब किस फसल का उत्पादन करना है और किस वेरायटी का उत्पादन करना है, जिसकी मांग होगी.
3. सेवा का उत्तरदायित्व स्पांसर या खरीदार उठाएगा. मसलन, वाटर मैनेजमेंट, वेस्ट मैनेजमेंट आदि की जिम्मेदारी स्पांसर ले सकता है.
4. जमीन को लेकर कोई करार नहीं होगा. यह करार सिर्फ फसल का होगा.
5. किसी प्रकार के विवाद की सूरत में समाधान सरलता से किया जाएगा. पहले गांव में ही ग्राम पंचायत स्तर पर विवादों का निपटारा किया जाएगा और ऐसा नहीं होने पर एसडीएम के स्तर पर विवादों का निपटारा किया जाएगा.
मौजूदा खरीफ विपणन सत्र में अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 10 दिसबंर 2020 तक धान की खरीद पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 22.5 फीसदी बढ़कर 368.7 लाख टन तक पहुंच गई है. यह खरीद 69,612 करोड़ रुपये में की गई. अक्टूबर 2020 से शुरू हुए मौजूदा खरीफ विपणन सत्र 2020- 21 में सरकार लगातार नयूनतम समर्थन मूलय पर किसानों से खरीफ फसलों की खरीदारी कर रही है.
सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा है कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें. साथ ही, कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं लेकिन कुछ ‘असामाजिक, वामपंथी और माओवादी’ तत्व आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है, तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि नए कृषि कानूनों को खत्म किए जाने से कम, कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा.
प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा सरकार के प्रस्तावों को खारिज करने के बाद अब सरकार पर दबाव बनाने के लिए सभी विपक्षी दल अगले हफ्ते बैठक कर सकते हैं. विपक्ष ने 25 राजनीतिक दलों के समर्थन का दावा किया है, लेकिन मंगलवार को राष्ट्रपति से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल में केवल पांच लोग शामिल थे. जिनमे से कांग्रेस के राहुल गांधी, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, सीपीआई-एम के नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी.राजा और डीएमके के टी.के.एस इलांगोवन हैं, जबकि अधिकांश अन्य विपक्षी नेता दिल्ली में नहीं थे.
केंद्र सरकार से बातचीत ना बनने के बाद जहां एक तरफ किसानों ने दिल्ली जयपुर और दिल्ली आगरा हाईवे को आज से बंद करने का ऐलान किया है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों ने देशभर के सभी टोल नाकों को भी टोल फ्री करने का एलान किया है. देशभर में यदि सभी टोल प्लाजा 1 दिन के लिए भी फ्री रहते हैं तो इससे करोड़ों रुपए का नुकसान होता है.
दिल्ली के बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का दायरा आज से और ज़्यादा बढ़ने का अनुमान है. किसान अभी तक दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर्स पर बैठे हैं. लेकिन, आज से किसानों की ऐसी ही तस्वीरें दिल्ली-जयपुर हाईवे और दिल्ली आगरा बॉर्डर से भी आ सकती हैं.
समजावादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन को लेकर भाजपा पर हमला बोला और कहा कि भाजपा सरकार पोषण करने वालों का शोषण करना बंद करे. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि सड़कों पर ठिठुरते आंदोलनकारियों की जायज मांगों को लेकर भाजपा सरकार हृदयहीन रवैया अपनाकर किसानों की घोर उपेक्षा कर रही है. इस पर जो वैश्विक प्रतिक्रिया आ रही है, उससे दुनियाभर में भारत की लोकतांत्रिक छवि को गहरी ठेस पहुंची है. भाजपा सरकार पोषण करनेवालों का शोषण करना बंद करे.
दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि टिकरी और ढांसा बॉर्डर यातायात के लिए बंद है जबकि झटीकरा बॉर्डर केवल दो पहिया वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए खुला है. यातायात पुलिस ने कहा कि हरियाणा जाने वाले झारौदा, दौराला, कापसहेड़ा, बडूसराय, रजोकरी एनएच-आठ, बिजवासन-बजघेड़ा, पालम विहार, डुन्डाहेड़ा बॉर्डर की तरफ से जा सकते हैं.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर केद्र सरकार के साथ जारी गतिरोध के बीच पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 30,000 किसानों का एक जत्था सुबह राष्ट्रीय राजधानी की ओर रवाना हुआ. ट्रैक्टर-ट्रेलर, बसों, कारों और मोटरसाइकिलों पर खाने-पीने के सामानों के साथ किसान मजदूर संघर्ष समिति से जुड़े अधिकांश किसानों ने अमृतसर शहर से अपनी यात्रा शुरू की. रास्ते में अन्य जिलों से संबंधित किसान उनसे जुड़ रहे हैं. वे शनिवार शाम को राजधानी की कुंडली सीमा पर पहुंचेंगे.
खिलाड़ियों और किसानों के एक समूह ने प्रदर्शनकारियों को साफ कपड़ों के लिए बार बार घर का चक्कर लगाने से बचाने के लिए दिल्ली के सिंघु बार्डर पर कई वाशिंग मशीनें लगाकर लांड्री सेवाएं शुरू की हैं. ये वाशिंग मशीनें रोजाना आठ-10 घंटे चलती हैं. किसानों के फोन नंबर और ठहरने की जगह का ब्योरा लिया जाता है और धुले हुए कपड़े उन्हें पहुंचा दिए जाते हैं. पंजाब के कबड्डी खिलाड़ी निशांत सिंह ने कहा, "हम करीब 12 लोग हैं और हम बारी बारी से कपड़े धोते हैं. उसके बाद वहां हम सफाई कर देते हैं."
टिकरी बॉर्डर पर किसानों के हाथों में उमर खालिद, सुधा भारद्वाज और अन्य की रिहाई की मांग करने वाले पोस्टर होने को लेकर एक सवाल के जवाब में किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा, 'उन्हें नहीं पता कि टिकरी बॉर्डर पर क्या हुआ. किसानों का प्रदर्शन राजनीतिक नहीं है.' उन्होंने कहा कि टिकरी बॉर्डर पर हुई घटना किसानों के मानवाधिकार दिवस मनाने का तरीका रहा होगा.
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि नए कृषि कानून से संबंधित सभी मुद्दों पर सरकार ने किसान नेताओं को संशोधन प्रस्ताव भेजा है, जिन पर उन्हें विचार करना चाहिए. लेकिन किसान नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करते हुए 12 दिसंबर को देशभर में सड़कों पर लग रहे टोल को फ्री करवाने के अलावा 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल ने किसान नेताओं से आंदोलन का रास्ता छोड़ सरकार से बातचीत जारी रखने की अपील की है. मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानूनों से किसानों को फायदा होगा, इसलिए किसानों को इसे वापस लेने की मांग त्याग कर इसके फायदे के बारे में विचार करना चाहिए. किसानों को इन कानूनों से संबंधित जो भी शंकाएं हैं, उनका समाधान करने के लिए सरकार तैयार है.
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान फोर्स को लीड करने वाले दो आईपीएस अधिकारी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं. इन अफसरों में आउटर-नॉर्थ के डीसीपी गौरव और एडीशनल डीसीपी घनश्याम बंसल हैं. जो जांच रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. ये दोनों ही आईपीएस अफसर होम आइसोलेशन में चले गए हैं.
चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को 10वें दिन भी जारी है. चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि जनता की परेशानी को देखते हुए बुधवार शाम को दिल्ली से नोएडा की तरफ आने वाले रास्ते को खुलवा दिया गया है. दोनों तरफ का रास्ता बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही थी, इसलिए एक तरफ का रास्ता खोल दिया गया है और किसान अब आधे रास्ते में बैठकर धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे.
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच दिल्ली यातायात पुलिस ने लोगों को बंद रास्तों के बारे में जानकारी दी. पुलिस ने ट्वीट करके कहा कि टिकरी और ढांसा बॉर्डर यातायात के लिए अब भी बंद हैं, वहीं झटीकरा बॉर्डर हल्के वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए खुला है. हरियाणा जाने के लिए झाडौदा, धौराला, कापसहेड़ा, बडूसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बजघेड़ा, पालम विहार और डुंडाहेडा बॉर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है. सरकार संशोधन चाहती है. संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है. हम चाहते है पूरा बिल वापस हो. बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नज़र नहीं आ रहा है. सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से MSP को लेकर भी बिल लाए."
किसान संगठनों के नेताओं मुताबिक उत्तर भारत के सभी किसानों के लिए 14 दिसंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिए कहा गया है. किसान नेताओं ने कहा कि वे 14 दिसंबर को भाजपा के मंत्रियों, पार्टी के जिला कार्यालयों का घेराव करेंगे और पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नए कृषि कानूनों को 'किसानों के शोषण का कानून' करार दिया और कहा कि केंद्र सरकार हवा में चल रही है और पूरे देश को बर्बाद कर देगी. कमलनाथ ने बुधवार देर रात एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने के दौरान कहा, "यह सरकार आज हवा में चल रही है और हमारे पूरे देश को बर्बाद कर देगी. आज हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि किसानों के साथ न्याय हो और उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य मिले."
बैकग्राउंड
कृषि सुधार कानूनों लेकर दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन का आज 15वां दिन है. कल किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन और तेज करने की भी बात कही. किसानों ने साफ तौर पर कहा कि हम सरकार को सिर्फ एक लाइन का जवाब भेजेंगे कि हमें आपका प्रस्ताव नामंजूर है.
गृहमंत्री के घर बैठक, कृषि मंत्री भी शामिल हुए
वहीं दूसरी ओर से कानून वापसी पर अड़े किसानों को मनाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के घर बैठक हुई. बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर औऱ रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे. सूत्रों ने बताया तोमर ने शाह से किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को समाप्त किए जाने के रास्तों पर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक सरकार फिलहाल इस नतीजे पर नहीं पहुंची है कि किसानों को कोई नया प्रस्ताव भेजा जाए या नहीं.
किसान बोले- आंदोलन तेज करेंगे, कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं
सरकार के 20 पन्नों के प्रस्ताव को तसल्लीबख्श पढ़ने के बाद भी किसानों ने खारिज कर दिया. सरकार के दिए प्रस्ताव को आंदोलनकारी किसानों ने गोल-मोल बताया. किसानों ने कहा कि जो बातें पिछले पांच मीटिंग के दौर हुईं, सरकार ने अपने प्रस्ताव में उन्हीं बातों को लिखा है.
किसानों ने बताा कि 14 को पूरे देश में जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन होगा. दिल्ली के आसपास के राज्यों में धरने होंगे. 12 तारीख को पूरे देश में टोल प्लाजा फ्री कर दिया जाएगा. 12 तारीख को या उससे पहले दिल्ली जयपुर हाइव को बंद कर दिया जाएगा. किसानों ने रिलायंस और जियो के सभी प्रोडॉक्ट का बायकॉट करने की भी अपील की.
क्या है विरोध
गौरतलब है कि सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से पास कराए गए तीन नए कानून- 1. मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, 2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और 3. किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 का किसानों की तरफ से विरोध किया जा रहा है. किसानों को डर है कि इससे एमसीपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और सरकार उन्हें प्राइवेट कॉर्पोरेट के आगे छोड़ देगाी. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा है कि देश में मंडी व्यवस्था बनी रहेगी. लेकिन, किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.
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