Farmer's Protest Live Updates: दो मुद्दों पर सहमति से सरकार और किसानों के बीच जमी बर्फ पिघली, चार को फिर होगी बैठक
नए कृषि कानूनों पर गतिरोध सुलझाने के लिए बुधवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत हुई. 5 घंटे तक चली बैठक में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े. सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं. बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बनें रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...
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नई दिल्ली: दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का आज 36वां दिन है. किसानों की सरकार के साथ वार्ता बुधवार को पटरी पर तो लौटी और बिजली के शुल्क तथा पराली जलाने से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर उनकी चिंताओं को दूर करने पर सहमति भी बनी, लेकिन नए कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दायरे में लाने की उनकी मुख्य मांग पर कुछ फैसला नहीं हो सका.
सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच पांच घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में आज बर्फ तो पिघलती नजर आई लेकिन गतिरोध बरकरार रहा क्योंकि उनकी मुख्य मांगों पर कोई सहमति नहीं बन सकी.
अब चार जनवरी को फिर से सरकार और किसान संगठनों के बीच मुख्य मांगों पर चर्चा होगी. बहरहाल, यह तय हो गया कि इन विवादास्पद कानूनों पर आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान अगले साल ही हो सकेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि जिन चार मुद्दों पर आज चर्चा हुई उनमें से दो पर आज सहमति बन गई.
उनके मुताबिक, सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई.
हालांकि तोमर ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी.
पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार एमएसपी खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने और पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने की पेशकश की है.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है.
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