Farmer's Protest Live Updates: दो मुद्दों पर सहमति से सरकार और किसानों के बीच जमी बर्फ पिघली, चार को फिर होगी बैठक

नए कृषि कानूनों पर गतिरोध सुलझाने के लिए बुधवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत हुई. 5 घंटे तक चली बैठक में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े. सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं. बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बनें रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 31 Dec 2020 08:54 AM
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के नेता सुखविंदर सिंह ने कहा, ''सरकार को कल कानून और MSPके बारे में बात करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने बात नहीं की. 4 जनवरी को उम्मीद है,सरकार अभी मान नहीं रही कल भी वो हमें लाभ गिनवा रही थी इसलिए हम चाहते हैं कि वो जल्दी 3कानून को रद्द करें न कि हमें समझाएं.''
अब चार जनवरी को फिर से सरकार और किसान संगठनों के बीच मुख्य मांगों पर चर्चा होगी. बहरहाल, यह तय हो गया कि इन विवादास्पद कानूनों पर आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान अगले साल ही हो सकेगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद दावा किया कि जिन चार मुद्दों पर आज चर्चा हुई उनमें से दो पर आज सहमति बन गई. उनके मुताबिक, सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई.

हालांकि तोमर ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी.
दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का आज 36वां दिन है. किसानों की सरकार के साथ वार्ता बुधवार को पटरी पर तो लौटी और बिजली के शुल्क तथा पराली जलाने से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर उनकी चिंताओं को दूर करने पर सहमति भी बनी, लेकिन नए कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दायरे में लाने की उनकी मुख्य मांग पर कुछ फैसला नहीं हो सका.

सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच पांच घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में आज बर्फ तो पिघलती नजर आई लेकिन गतिरोध बरकरार रहा क्योंकि उनकी मुख्य मांगों पर कोई सहमति नहीं बन सकी.
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "दिल्ली में सर्द मौसम को देखते हुए मैंने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को घर भेजने का अनुरोध किया है. अगले दौर की वार्ता 4 जनवरी को होगी. आज की बातचीत बेहद सकारात्मक माहौल में हुई."
बैठक के बाद किसान नेता कलवंत सिंह संधु ने कहा कि आज की बैठक मुख्य रूप से बिजली और पराली जलाने को लेकर थी. अगली बैठक में हम एमएसपी गारंटी और तीनों कानूनों पर फोकस करेंगे.
किसानों के साथ बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसानों में दो मुद्दों पर सहमति बनी है. चार मुद्दों में से दो पर सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि पराली-बिजली बिल और पर्यावरण संबंधि अध्यादेश पर सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगी.
किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक खत्म हो गई है. ये बैठक करीब पांच घंटे तक चली. ये सातवें दौर की बैठक थी. अगली बैठक 4 जनवरी को होगी. किसान नेता के मुताबिक सरकार ने पराली अध्यादेश और बिजली बिल वापस लेने का भरोसा दिया है.
बैठक के दौरान टी ब्रेक भी हुआ. इस दौरान किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से दी गई चाय पी. वहीं मंत्रियों ने किसानों की चाय पी. ब्रेक के बाद बैठक फिर शुरू हो गई. संभवत: अब और ब्रेक नहीं होगा. बता दें कि इससे पहले लंच में किसान नेताओं ने बाहर से खाना मंगवाया था.
किसानों ने बुधवार को हरियाणा में जींद के खटकड़ गांव के निकट राजमार्ग पर धरना दिया और इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग की. किसानों ने धरनास्थल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह की फोटो को उल्टा लटकाकर अपना विरोध दर्ज कराया. किसान नेता सतबीर बरसोला ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को शुरू से हल्के में ले रही है. उन्होंने कहा कि किसानों का यह आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आज फिर किसानों की मांग पर चर्चा के लिए एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया. ये प्रस्ताव 1 दिसम्बर को हुई बैठक में भी दिया गया था जिसे किसानों ने नामंज़ूर कर दिया था.
सरकार और किसान संगठनों के बीच करीब चार घंटों से बैठक जारी है. इस बीच राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए पीएम मोदी को निशाने पर लिया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक पोल शुरू किया.

विज्ञान भवन में लंच ब्रेक खत्म हो गया है. किसान नेताओं और सरकार के बीच फिर से बैठक शुरू हो गई है. लंच ब्रेक के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसानों के साथ खाना खाया.
सूत्रों के मुताबिक, लंच ब्रेक तक किसानों और सरकार के बीच दो बिंदुओं पर बात हुई. कानून रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की बात हुई. बैठक में किसान नेताओं ने अपनी मांग को दोहराया.
दिल्ली के विज्ञान भवन के बाहर 'कार सेवा' गाड़ी दिखी जो सरकार से बातचीत करने आए किसान नेताओं के लिए खाना लेकर पहुंची थी.

किसान संगठनों और सरकार की बातचीत में अभी ब्रेक हुआ है. मंत्री किसानों के साथ खा रहे हैं. सरकार के साथ बैठक में शामिल किसान नेताओं का कहना है कि सरकार आगे नहीं बढ़ रही है, हम अपनी मांग पर अडिग हैं. किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है.
केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने उम्मीद जताई कि आज की बैठक के बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो जाएगा और सभी अपने परिवार के साथ नए साल का जश्न मनाएंगे.
सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता के लिए किसानों का प्रतिनिधि मंडल विज्ञान भवन पहुंच गया है. किसान नेता कृषि मंत्री से साथ बैठक करेंगे.
फरीदकोट (पंजाब)के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने कहा, ''आज दो बजे बैठक होगी. इस बैठक से हमें तो ज़्यादा उम्मीद नहीं है लेकिन इस साल इस कानून पर फैसला हो जाए तो ये हमारे और सरकार के लिए अच्छा होगा. जब कानून रद्द होगा हम तभी यहां से जाएंगे वरना नए साल पर भी यही रहेंगे.''
सरकार के साथ चर्चा के लिए सिंघु बॉर्डर से किसानों का एक डेलिगेशन विज्ञान भवन के लिए रवाना.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ''भाजपा सरकार चंद अमीर मित्रों के फ़ायदे के लिए पूरे देश के किसान को न ठगे और आज की वार्ता में कृषि क़ानून वापस ले. सच तो ये है कि भाजपा का ज़मीनी कार्यकर्ता भी यही चाहता है क्योंकि वो आम जनता के बीच जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है. भारत का राजनीतिक नेतृत्व इतना बंजर कभी न था.''

बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा, ''आज सरकार के साथ किसान वार्ता पर बैठने वाले हैं. पूरी उम्मीद है कि आज कोई न कोई हल निकलेगा क्योंकि सरकार किसानों के लिए अपने दिल में बहुत बड़ी जगह रखती है.''
पंजाब के किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा, ''पहले भी पांच दौर की बैठक हो चुकी है, उसमें समझाने की बात हुई और कानून के फायदे गिनाए गए. आज भी बैठक का कोई सही एजेंडा नहीं है. हमें नहीं लगता कि माहौल ऐसा है कि बैठक में कुछ निकलेगा.''
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैट ने कहा है कि आज गाजियाबा बॉर्डर पर महापंचायत होगी जिसमें आगे की रणनीति तय होगी. उन्होंने ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को भी बंद करने की धमकी भी दी. राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार से बात नहीं बनती है तो ईस्टर्न पेरीफेरल और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को बंद कर दिल्ली में आना और जाना पूरी तरह से बंद किया जाएगा. अब इस आंदोलन का प्रमोशन होगा. जिस तरह सिपाही भर्ती होता है फिर हेड कांस्टेबल बनता है, उसी तरह इस आंदोलन का भी अब प्रमोशन होगा. यानी, आंदोलन का दायरा अब बढ़ता रहेगा.
आज दोपहर 12 बजे यूपी गेट गेट पर किसानों की महापंचायत होगी. इस पंचायत में शामिल होने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत किसानों के साथ मुजफ्फरनगर अपने आवास सिसौली से बागपत होते हुए पहुचेंगे. साथ ही नरेश टिकैत के आवाह्नन पर इस महापंचायत में शामिल होने मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत , मेरठ, समेत कई जिलों के सैकड़ो किसान पहुंचेंगे.
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने आज सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक स्थगित कर दिया है. इससे पहले, 40 किसान संगठनों के समूह ’संयुक्त किसान मोर्चा’ ने घोषणा की थी कि 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.
केंद्र और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की.
किसान आंदोलन और उस पर कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर रक्षा मंत्री ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, ''मैं दुनिया के किसी भी प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि भारत के आंतरिक मामलों में बोलना बंद करें. भारत को किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. हम लोग आपस में बैठकर समस्याओं का समाधान करेंगे. यह भारत का आंतरिक मामला है दुनिया के किसी देश को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का हक नहीं है. भारत ऐसा वैसा देश नहीं है किजो चाहे वो बोल दे.''

विदेश में किसानों के प्रदर्शन और साजिश के आरोपों पर रक्षा मंत्री ने कहा, ''हमारे किसान भाइयों के मन में कहीं ना कहीं एक गलत फहमी पैदा करने की कोशिश की गई है. मैं सम्मान व्यक्त करते हुए, विनम्रता पूर्वक अपने किसान भाइयों से कता हूं कि आप तीनों बिलों को लेकर बैठिए और क्लॉज बाइस क्लॉज चर्चा कीजिए. आपको लगता हो कि किसी बड़े एक्सपर्ट को बैठाने की जरूरत है आप बैठाइए. सरकार आपके साथ बातचीत के लिए तैयार है. हम किसान भाइयों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा सकते हैं.''

किसान आंदोलन और उस पर कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर रक्षा मंत्री ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, ''मैं दुनिया के किसी भी प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि भारत के आंतरिक मामलों में बोलना बंद करें. भारत को किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. हम लोग आपस में बैठकर समस्याओं का समाधान करेंगे. यह भारत का आंतरिक मामला है दुनिया के किसी देश को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का हक नहीं है. भारत ऐसा वैसा देश नहीं है किजो चाहे वो बोल दे.''

सरकार और किसान नेताओं के बीच हुए पत्राचार में दोनों पक्षों ने साफ नीयत से सभी मसलों पर बातचीत करने की बात कही है. कृषि सचिव की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार भी साफ नीयत और खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस पत्र के जवाब में मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कृषि सचिव को लिखे गए पत्र में भी प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान के लिए तय एजेंडा के अनुसार वार्ता चलाने की अपील की गई है.


पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल आज सरकार के साथ वार्ता के लिए जाने वाले किसान नेताओं में शामिल रहेंगे. हरिंदर सिंह से जब आईएएनएस ने पूछा कि वह इस वार्ता को लेकर कितने उत्साहित हैं तो उन्होंने कहा, "सभी किसान चाहते हैं कि सरकार जल्द इन तीनों कानूनों को रद्द करे ताकि आंदोलन समाप्त हो." वह कहते हैं कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए सरकार किसी अन्य मुद्दे पर बात करने से पहले इन तीनों कानूनों को रद्द करे. हरिंदर सिंह ने कहा, "हम सरकार के साथ सभी चार मसलों पर बात करेंगे और हमें उम्मीद है कि बातचीत से मसले का समाधान निकलेगा."
कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर कर किसान आंदोलन समाप्त कराने की दिशा में किसान संगठनों के नेताओं की केंद्र सरकार के साथ आज एक बार फिर बैठक होगी. हालांकि सरकार और किसान संगठन पहले से तय मुद्दों को लेकर अपने-अपने रुख पर कायम हैं, मगर उन्हें इस वार्ता से समाधान के रास्ते निकलने की उम्मीद है. सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि किसानों के मसले का समाधान वार्ता से ही होगा और सरकार के आग्रह पर ही आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों के नेता अगले दौर की वार्ता के लिए राजी हुए हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का आज 36वां दिन है. किसानों की सरकार के साथ वार्ता बुधवार को पटरी पर तो लौटी और बिजली के शुल्क तथा पराली जलाने से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर उनकी चिंताओं को दूर करने पर सहमति भी बनी, लेकिन नए कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दायरे में लाने की उनकी मुख्य मांग पर कुछ फैसला नहीं हो सका.


सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच पांच घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में आज बर्फ तो पिघलती नजर आई लेकिन गतिरोध बरकरार रहा क्योंकि उनकी मुख्य मांगों पर कोई सहमति नहीं बन सकी.


अब चार जनवरी को फिर से सरकार और किसान संगठनों के बीच मुख्य मांगों पर चर्चा होगी. बहरहाल, यह तय हो गया कि इन विवादास्पद कानूनों पर आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान अगले साल ही हो सकेगा.


केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि जिन चार मुद्दों पर आज चर्चा हुई उनमें से दो पर आज सहमति बन गई.


उनके मुताबिक, सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई.


हालांकि तोमर ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी.


पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार एमएसपी खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है.


उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने और पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने की पेशकश की है.


भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है.

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