Farmers Protest: किसान नेता दर्शन पाल सिंह (Farmer leader Darshan Pal Singh) ने शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानून के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन जारी रहेगा और कार्यक्रमों का आयोजन भी तय समय पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल हमें 22 तारीख को लखनऊ की रैली को कामयाब करना है. अगर लखीमपुर खीरी में हमारे साथियों को परेशान करने की कोशिश की जाती है तो फिर हम लखीमपुर खीरी इलाके में आंदोलन चलाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 26 और 29 का कार्यक्रम भी चलते रहेंगा. 


वहीं दर्शन पाल ने कल पीएम के कृषि कानून को वापस लेने के फैसले पर कहा, "अच्छी बात है केंद्र सरकार ने ये फैसला लिया है. अभी बहुत सारे मुद्दे है जिन पर बात होनी चाहिए." उन्होंने कहा कि अभी कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर बात नहीं हुई है. MSP पर अब तक सरकार ने कोई बात नही मानी है. ये हमारी मांग है कि सरकार एमएसपी पर कानून लाएं. जबतक हमारी बातों को नहीं माना जाएगा तबतक ये आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. 


700 किसानों की गई है जान


बीकेयू सिद्धुपुर के अध्यक्ष जगजीत सिंह ढलेवाल (Jagjeet singh Dhalewal) ने कहा, "आज इसी मामले पर 9 मेंबर कमिटी की मीटिंग हुई जिसमें फैसला हुआ जो प्रोग्राम पहले से तय थे वह वैसे ही रहेंगे. प्रधानमंत्री ने जो माफी मांगी को सही किया. प्रधानमंत्री ने माना कि हम किसानों को समझा नहीं सके इसका मतलब है कि वह कानून सही नहीं थी, लेकिन इसकी वजह से जो 700 किसानों की जान गई वह दुखदाई है. इस दुख की वजह से हम कानून के वापस लेने के फैसले की खुशी भी नहीं मना पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जगजीत सिंह दलेवाल और उनका संगठन कोई पार्टी इलेक्शन नहीं लड़ेगा. ना तो हमने इलेक्शन लड़ा, और ना ही लड़ेंगे. लेकिन, जो भी इलेक्शन लड़ेगा उसको किसानों के मुद्दे बेरोजगारी के मुद्दे और नौजवानों के मुद्दे हल करने पड़ेंगे. 


सरकार को जल्द से जल्द लेना चाहिए कानून वापस


वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि मीटिंग में इस मसले के सामाधान पर बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि सरकार को अब तुरंत इस कानून को वापस ले लेना चाहिए. तीन काले कानून वापस हुए हैं तो उन्हें अच्छा महसूस हो रहा है. लेकिन सराकार तुरंत इस कानून को वापस लें और जो मामले हैं उसका समाधान निकालें.


टिकैट ने कहा कि हम सरकार से डिमांड करेंगे की इस आंदोलन में जान गवांने वाले किसानों के स्मारक के लिए हमें जगह दी जाए. जहां हम उनका स्मारक बनवा सकें और आंदोलनकारी किसानों को सालो साल याद किया जा सके. इसके अलावा टिकैट ने कहा कि 26 नवंबर को हमारे आंदोलन का एक साल हो जाएगा. इस मौके पर हम कोई बड़ा प्रोग्राम तो नहीं लेकिन एक मीटिंग जरूर रखेंगे. 


पीएम ने कल की थी बड़ी घोषणा


बता दें कि कल यानी बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए ऐलान किया था कि वो पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानून को वापस ले लेंगे. इस घोषणा के साथ ही PM ने पिछले साल भर से देश के अलग अलग राज्यों में प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपने घरों और खेतों में लौटने का भी अनुरोध किया था. उन्होंने संबोधन में कहा कि तीन कृषि कानून विशेष रूप से छोटे किसानों का समर्थन करने के लिए लाए गए थे. जिससे उन्हें अपनी उपज के लिए अधिक विकल्प और बेहतर कीमत मिल सके. और किसानों की स्थिति में सुधार लाया जा सके. 


हालांकि पीएम ने कहा कि हम इस नए कानून को कुछ किसानों को समझा पाने में असफल रहें. वहीं पीएम ने माफी मांगते हुए कहा था कि हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी. 


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