तीन कृषि कानून पर वापसी की मुहर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लगा चुके हैं. लेकिन फिर भी किसान आंदोलन अब तक खत्म नहीं हुआ है.आखिर कहां फंसा है किसान आंदोलन की वापसी का पेच. क्यों अब तक किसानों और मोदी सरकार के बीच बात नहीं बनी. आइए आपको बताते हैं उन पांच कारणों के बारे में, जिसने अभी भी किसानों की घर वापसी में रोड़े अटकाए हुए हैं.  


1. एमएसपी कानून कमिटी: संयुक्त किसान मोर्चा कानून (एसकेएम) बनाने की जिद छोड़ कर कमिटी पर तैयार है लेकिन शर्त है कि कमिटी में किसान प्रतिनिधि के तौर पर केवल एसकेएम के सदस्य ही होने चाहिए. सरकार ने मंगलवार को प्रस्ताव दिया था कि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी होंगे. बात यहां पर भी अटकी है.


2. मुकदमा वापसी : सरकार कह रही है कि किसान नेता आंदोलन खत्म करने का एलान करें. इसके फौरन बाद हरियाणा, यूपी, दिल्ली में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा. लेकिन किसान नेता मांग कर रहे हैं कि सरकार पहले मुकदमे वापस ले. पहले आप-पहले आप पर बात बन नहीं पा रही है.


3. मुआवजा : सरकार के मुताबिक मुआवजा देने पर सैद्धांतिक सहमति है. किसान नेता मांग कर रहे हैं कि पंजाब मॉडल की तर्ज पर आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवार के लिए 5 लाख रुपये और सरकारी नौकरी का एलान हो. बात सहमति और एलान पर रुकी हुई है.


4. बिजली संशोधन बिल:  इसके अलावा किसानों द्वारा बिजली संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की जा रही है. सरकार कह रही है कि संसद में पेश करने सभी पक्षों से चर्चा की जाएगी. 


5. पराली कानून: पराली कानून पर सरकार कह रही है कि पहले ही अपराध का प्रावधान हटा दिया गया है, लेकिन किसान जुर्माने के प्रावधान को भी खत्म करने की मांग पर अड़े हैं, जिससे आंदोलन खत्म होने का रास्ता भी रुका हुआ है.


सरकार के मसौदे पर किसान मोर्चा की असहमति मंगलवार को सरकार को वापस भेज दी गई थी. सरकार के जवाब पर 5 सदस्यीय कमिटी चर्चा करेगी और फिर संभावना है कि पांचों किसान नेता बड़े केंद्रीय मंत्रियों से मिलें.  सरकार के साथ हुई बातचीत पर संयुक्त किसान मोर्चा की 2 बजे  बैठक होगी. सहमति बनने के बाद आंदोलन वापस लेने का एलान होगा.


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