किसान आंदोलन: गडकरी बोले- किसानों के साथ नहीं होगा अन्याय, कुछ तत्व आंदोलन को भटका रहे
किसानों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है. किसान आज आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे, इसके लिए आज किसान नेताओं की अहम बैठक होनी है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया है कि किसानों से बातचीत का विकल्प अब भी खुला है.
नई दिल्ली: किसानों और सरकार के बीच जारी टकराव के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि किसानों कानून समझने चाहिए, सराकर उनके साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि कुछ तच्व किसानों के आंदोलन को भटका रहे हैं. बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 20 दिनों से जारी है.
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, ''किसानों को आकर कानून समझने चाहिए. हमारी सरकार किसानों के प्रति समर्पित है और उनकी ओर से दिए गए प्रस्तावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है. हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई भी अन्याय नहीं होगा. कुछ तत्व हैं जो इस आंदोलन का गलत इस्तेमाल कर इसे भटकाना चाहते हैं. यह गलत है. किसानों को तीनों कृषि कानूनों को समझने की कोशिश करनी चाहिए.''
खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति की बैठक किसान आंदोलन के बीच आज आज खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति की बैठक बुलाई गई है. बैठक में खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है. बैठक में फसलों की ख़रीद , उसके रखरखाव और वितरण के बारे में अधिकारियों से सवाल पूछे जाएंगे. मंत्रालय के साथ साथ बैठक में भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी भी शामिल होंगे. सरकार की ओर से भारतीय खाद्य निगम (FCI) ही किसानों से मुख्य रूप से गेहूं और चावल के अलावा दलहन और तिलहन फ़सलों की ख़रीद कर उसका रखरखाव करती है.
20 दिन से जारी है आंदोलन, सरकार की कोशिश- देश भर में ना फैले दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का 20वां दिन है. किसानों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है. किसान आज आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे, इसके लिए आज किसान नेताओं की अहम बैठक होनी है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया है कि किसानों से बातचीत का विकल्प अब भी खुला है.
एक ओर जहां दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानून विरोधी नेता आंदोलन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों के समर्थक किसान नेताओं से सरकार की लगातार मुलाकात जारी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार की रणनीति है कि दिल्ली का आंदोलन देश के बाकी हिस्सों में ना फैले. हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों के बाद यूपी, केरल, बिहार समेत कई राज्यों के किसानों ने सरकार से मुलाकात करके कृषि बिल को अपना समर्थन देने की बात कही है.
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