किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का एक हिस्सा आज आने की उम्मीद, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
केंद्र और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई आठ राउंड की बैठक बेनतीजा रही है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई, इस सुनवाई के बाद आदेश का एक हिस्सा आज शाम तक आ सकता है. कमेटी के गठन और बाकी मुद्दों को लेकर कल भी सुनवाई जारी रहेगी. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप कृषि कानून पर रोक लगाएंगे या हम लगा दें? कोर्ट के इस बाद का केंद्र की ओर से पेश एटॉर्नी जनरल ने विरोध किया. जिस कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर नहीं कानून के अमल पर रोक लगाएंगे.
कृषि कानून पर सुनवाई के दौरान और क्या हुआ ? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रति बेहद कड़ा रुख अपनाया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं. लोग मर रहे हैं. आत्महत्या कर रहे हैं. हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है. खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि आप स्थिति को संभालने में असफल रहे हैं.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है. लोग कह रहे हैं कि कोर्ट को क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं. लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं. एक साझा हल निकले. अगर आपमें समझ है तो फिलहाल कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए. इसके बाद बात शुरू कीजिए. हमने भी रिसर्च किया है. एक कमिटी बनाना चाहते हैं. चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि हम रोक लगाने जा रहे हैं। बाद में आंदोलनकारियों से पूछेंगे कि आप सड़क से हटेंगे या नहीं.
केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे. इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं. अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं. आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं, नहीं तो हम लगा देंगे.
याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं. लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे? कोर्ट ने ययह भी कहा कि हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है.
हरीश साल्व ने कहा कि कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा, सब कमिटी के सामने जाएंगे. यही हम चाहते हैं. लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता. हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे. यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें.
चीफ जस्टिस ने कहा कहा कि केंद्र सरकार स्थिति को संभालने में असफल रही. हम कानून पर नहीं उसके अमल पर रोक लगा रहे हैं. हमने एटॉर्नी जनरल की दलीलों पर विचार किया है. किसी कानून के आधार पर कदम उठाए जाने पर रोक तो लग ही सकती है. एक याचिका कर्ता की ओर से पेश वकील पी एस नरसिम्हा ने कहा कि सरकार को थोड़ा समय दें. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर हिंसा हुई तो फिर कौन जिम्मेदार होगा?
सुनवाई के दौरान की किसान संगठनों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि आप कानून पर रोक ना लगाएं, हम इसके समर्थन में हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी बात समझ रहे हैं. लेकिन आप पंजाब के किसानों को सड़क से नहीं हटा पाएंगे. आपकी भी अपनी सीमा है. इसलिए हम कुछ अंतरिम आदेश देना चाहते हैं.
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