किसान आंदोलन: पीयूष गोयल बोले- सरकार फिर से बातचीत को तैयार, टिकैत बोले- मांगे पूरी होने तक घर वापसी नहीं
किसान आंदोलन: पीयूष गोयल ने कहा है कि किसानों को कुछ मुद्दों पर गुमराह किया जा रहा है और कुछ लोग उन्हें भ्रमित करने में सफल रहे हैं. वहीं, राकेश टिकैत ने प्रदर्शनों को ‘नाकाम नहीं होने वाला जन आंदोलन’ करार देते हुए कहा कि मांगें पूरी होने तक घर वापसी नहीं होगी.
नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली में किसानों के आंदोलन का आज 75वां दिन है. इस बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है. गोयल ने हालांकि साथ ही यह भी कहा कि बार-बार प्रस्तावों के बावजूद प्रदर्शनकारी अब तक कोई भी ‘‘ठोस सुझाव’’ के साथ नहीं आए हैं. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साफ कहा है कि जबतक सरकार हमारी मांगे पूरी नहीं करती तबतक घर वापसी नहीं होगी.
पीयूष गोयल ने क्या कहा?
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से किसान यूनियनों से की गई यह अपील दोहरायी कि सरकार उनके द्वारा उठाए गए किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ‘‘सिर्फ एक फोन दूर है’’ और कहा, ‘‘लेकिन इसके लिए कम से कम किसी को फोन करना होगा ताकि हम आगे बढ़ सकें.’’ उन्होंने कहा कि किसानों को कुछ मुद्दों पर गुमराह किया जा रहा है और कुछ लोग उन्हें भ्रमित करने में सफल रहे हैं.
गोयल ने कहा, ‘‘हमने कानून को शब्दों के बदलाव के माध्यम से और सख्त बनाने का भी प्रस्ताव दिया, हमने 18 महीने के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया. हम समाचारों में तारीख पर तारीख पढ़ते रहते हैं, लेकिन यह 'प्रस्ताव पर प्रस्ताव' होना चाहिए. हमें अभी तक किसानों से कोई ठोस सुझाव नहीं मिला है.’’
गोयल ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज फहराने की निंदा की और इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया. उन्होंने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि सरकार उससे आगे बढ़ने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि जब सरकार कोई विधेयक लाती है तो यह लोगों के लाभ के लिए होता है और यदि किसी को उससे दिक्कत है, तो उन्हें दूसरों को इससे वंचित करने के बजाय उसे सामने लाना चाहिए.
मंत्री ने कहा, ‘‘भारत में करोड़ों किसान हैं, इन कानूनों से उन्हें लाभ होगा, विशेष रूप से छोटे किसानों को. हमने इस बात पर ध्यान दिया है कि कैसे उनकी आय में सुधार किया जाए. हम समझते हैं कि इससे किसान को ही लाभ होगा, अगर इसे लेकर मुद्दे हैं तो हम उन पर चर्चा कर सकते हैं लेकिन लाभों से बाकी वंचित क्यों रहें?’’
किसानों की मांगें पूरी नहीं होने तक घर वापसी नहीं- टिकैत
वहीं, नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों को ‘नाकाम नहीं होने वाला जन आंदोलन’ करार देते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि मांगें पूरी होने तक घर वापसी नहीं होगी. टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार को विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को जारी रखने का विश्वास दिलाने के लिए एक नया कानून बनाना चाहिए और गिरफ्तार किये गये किसानों को रिहा करना चाहिए. टिकैत ने दावा किया कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन मजबूत होता जा रहा है
टिकैत ने कहा कि जब किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था तब इसे पंजाब और हरियाणा का आंदोलन करार देते हुए इसे विभाजित करने की कोशिशें की गई थी. किसान संगठनों के बीच एकजुटता प्रदर्शित करने की कोशिश करते हुए टिकैत ने कहा, ‘‘मंच और पंच नहीं बदलेंगे.’’ बीकेयू नेता ने प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह करते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग आपको सिख, गैर सिख के तौर पर विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन एकजुट रहना है.’
बता दें कि सरकार की किसान नेताओं के साथ 11 दौर की वार्ता हुई है, आखिरी वार्ता 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड से पहले हुई थी. ट्रैक्टर परेड के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.
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