नई दिल्ली: देश में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार विरोध कर रहे हैं. पिछले 23 दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं और केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. हालांकि सरकार किसानों के आगे झुकने का नाम नहीं ले रही है तो वहीं किसान भी पीछे नहीं हट रहे हैं. वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए कई किसानों की जान भी जा चुकी है. जिसको लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है.


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पिछले कई दिनों से किसानों का मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस मोदी सरकार को किसान विरोधी भी कह चुकी है. वहीं कृषि कानूनों पर विरोध के दौरान कई किसानों ने अपनी जान भी गंवाई है. अब राहुल गांधी ने ट्वीट के माध्यम से किसानों की मौत का मुद्दा भी उठाया है. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'और कितने अन्नदाताओं को कुर्बानी देनी होगी? कृषि विरोधी कानून कब खत्म किए जाएंगे?'



कई लोगों की मौत


दिल्ली बॉर्डर पर किसान पिछले 23 दिनों से विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले. हालांकि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने से इनकार कर चुकी है. इसके बाद भी किसान अपनी मांग मनवाने के लिए लगातार विरोध कर रहे हैं. कृषि कानूनों पर विरोध के लिए हजारों की संख्या में किसान दिल्ली कूच के लिए आगे बढ़े थे. वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली कूच के बाद से पंजाब के अब तक 22 किसान की मौत हो चुकी है.


हाल ही में टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहा 38 वर्षीय एक किसान गुरुवार की सुबह मृत मिला. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के नेता शिंगारा सिंह के मुताबिक बठिंडा जिले के तुंगवाली गांव के जल सिंह और उनके भाई कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई दिनों से हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे. वहीं शिंगारा सिंह ने मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने और जल सिंह के परिवार के एक सदस्यों को सरकारी नौकरी देने की मांग की है.


भारतीय किसान यूनियन के नेता ने बताया कि पंजाब के अभी तक 20 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है. इनकी मौत प्राकृतिक कारणों या सड़क हादसे में हुई है. बता दें कि केंद्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है. वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉर्पोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.


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