नई दिल्ली: किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और चार सदस्यों की कमेटी गठित की. अब कमेटी में शामिल सदस्यों को लेकर किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. इनका कहना है कि कमेटी में शामिल चार सदस्य नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ''क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा. जय जवान, जय किसान!''
किसान संगठनों का भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी में जितने सदस्य हैं वे कृषि कानूनों के समर्थक हैं. वे कानून के समर्थन की सार्वजनिक वकालत कर चुके हैं. किसान नेताओं ने कहा कि वे इस कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से कमेटी गठित की है. इस कमेटी में सदस्य के तौर पर भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के नेता अनिल घनवटे, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी को शामिल किया गया है.
शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा है कि 4 सदस्यीय कमिटी 10 दिन में काम शुरू करेगी और 2 महीने में रिपोर्ट देगी. अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी.
बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 48 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर जारी है. इस गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ दौर की बैठकें हो चुकी है. अगली बैठक 15 जनवरी को तय है.
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