Kisan Andolan: 11 क्विंटल लड्डू, खूबसूरत सजावट, 383 दिन बाद घर लौट रहे राकेश टिकैत का सिसौली गांव में ऐसे होगा स्वागत
Farmers Protest End: राकेश टिकैत की घर वापसी उन लाखों लोगों के लिए भी राहत लेकर आएगी जो पिछले एक साल से यूपी से दिल्ली और दिल्ली से यूपी जाने में घंटों ट्रैफिक जाम का सामना कर रहे थे.
Farmers Protest: कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद आज आंदोलनकारी किसान दिल्ली बॉर्डर को पूरी तरह खाली कर देंगे. किसानों का आखिरी जत्था आज दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर के मुजफ्फरनगर लौट जाएगा. किसान आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा जिसकी एक आवाज पर देशभर के किसान एकजुट हुए, जिसकी जिद्द के आगे सरकार को भी झुकना पड़ा. वो राकेश टिकैत, 383 दिन बाद आज अपने घर लौट रहे हैं.
राकेश टिकैत दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से अपने गांव मुजफ्फरनगर से सिसौली के लिए रवाना हो रहे हैं. इस दौरान मोदीनगर, मेरठ, खतौली, मंसूरपुर, सौरम चौपाल में टिकैत का भव्य स्वागत होगा, राकेश टिकैत शाम चार बजे के करीब सिसौली पहुंचेंगे. सिसौली पहुंचकर टिकैत सबसे पहले उस चबूतरे पर जाएंगे जहां इन्होंने कृषि कानून रद्द होने तक घर वापस न लौटने का प्रण लिया था. आपको बता दें कि इसी चबूतरे पर बैठकर कभी किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत सर्वखाप के फैसले लिया करते थे जो राकेश टिकैत के पिता थे.
राकेश टिकैत की घर वापसी को लेकर सर्वखाप मुख्यालय सौरम और भारतीय किसान यूनियन के मुख्यालय सिसौली में जोरदार तैयारियां की गई हैं. सिसौली में किसान भवन को खूबसूरत रोशनी से सजाया गया है, 11 क्विंटल लड्डू बनाए जा रहे हैं, तैयारियों की कमान खुद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत संभाल रहे हैं.
दोबारा धरने पर लौट सकते हैं किसान
राकेश टिकैत भले ही घर लौट रहे हों लेकिन इनके तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं, कल जींद में हरियाणों के टोलों पर धरना खत्म करने का एलान करते हुए टिकैत ने सरकार को चेताया कि अगर 15 जनवरी तक वादे पूरे नहीं हुए तो किसान वापस भी लौट सकते हैं. टिकैत ने कहा, 'किसानों से अपील की कि वे आंदोलन की याद को जिंदा रखने के लिए अपने-अपने घरों में आंदोलन के नाम का एक-एक पेड़ अवश्य लगाएं जिससे पर्यावरण भी बढ़ेगा और आंदोलन की याद भी ताजा रहेगी.'
यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले राकेश टिकैत की घर वापसी सत्ताधारी बीजेपी के लिए भी बड़ी राहत होगी. जाट-सिख-मुस्लिम लामबंदी और राकेश टिकैत की वजह से बीजेपी को पश्चिमी यूपी में बड़ा नुकसान होने का डर सता रहा था लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब हालात तेजी से बदल रहे हैं.
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