किसान कानून के खिलाफ प्रदर्शन की आग दिल्ली पहुंची, संसद भवन के पास टैक्टर में लगा दी आग
दिल्ली में इंडिया गेट और आस पास के वीआईपी इलाकों में धारा 144 लागू है और कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है.
नई दिल्ली: किसान कानून के खिलाफ प्रदर्शन की आग दिल्ली तक पहुंच गई है. दिल्ली के इंडिया गेट में किसानों ने ट्रैक्टर में आग लगा दी है. पंजाब और हरियाणा के बाद किसानों का प्रदर्शन देश की राजधानी में संसद के बिल्कुल पास तक पहुंच गया है. संसद के करीब इंडिया गेट पर किसानों ने टैक्टर में आग लगा दी. हालांकि प्रदर्शनकारियों को इक्कठा होने नहीं दिया गया. दिल्ली में इंडिया गेट और आस पास के वीआईपी इलाकों में धारा 144 लागू है और कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है.
पिछले दो हफ्तों से जिन किसान बिलों को लेकर संसद से सड़क तक लड़ाई छिड़ी थी, वो अब कानून बन गए हैं. लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भी बिल को लेकर बवाल थमा नहीं है. पंजाब में किसानों और सियासी दलों का विरोध और तेज हो रहा है. किसान संगठनों ने पंजाब में रेल रोको प्रदर्शन 29 सितंबर तक बढ़ा दिया है. बिल के खिलाफ अकाली दल जगह-जगह रैली कर रहा है.
#WATCH दिल्ली: पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इंडिया गेट के पास #FarmLaws के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए एक ट्रैक्टर को आग लगा दी। https://t.co/eP5u8e2ESb pic.twitter.com/MK99dLieUS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 28, 2020
शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती के मौके पर आज पंजाब में किसानों का आंदोलन और तेज होगा. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भगत सिंह के गांव जाएंगे जहां वो किसान आंदोलन के समर्थन में धरना भी देंगे. बिल को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद भी कांग्रेस के तेवर कड़े हैं.
"कृषि बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना अति दुर्भाग्यपूर्ण" शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने रविवार को कृषि बिलों को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इसे निराशाजनक और काफी दुर्भाग्यपूर्ण बताया. इन बिलों का किसान पंजाब में विरोध कर रहे हैं. यहां जारी एक बयान में, सुखबीर ने कहा कि यह सच में देश के लिए काला दिन है, क्योंकि राष्ट्रपति ने देश की भावना को दरकिनार कर दिया.
उन्होंने कहा, "हम काफी आशांवित हैं कि माननीय राष्ट्रपति इन बिलों को दोबारा विचार करने के लिए संसद में लौटाएंगे. यह मांग अकाली दल और कुछ विपक्षी पार्टियों की है." इससे पहले अकाली दल का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला था और कृषि बिल को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया था.
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