नई दिल्ली: मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद के अंदर और बाहर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की रणनीति बनाई है. किसान संगठनों का जत्था मानसून सत्र के दौरान रोजाना संसद के नजदीक प्रदर्शन करेगा. इसके साथ ही किसान मोर्चा विपक्षी दलों को चिट्ठी लिखकर संसद में कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने की मांग भी करेगा. संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है.
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 17 जुलाई को मोर्चा की तरफ से विपक्षी दलों को "चेतावनी पत्र" लिखा जाएगा, जिसके जरिए विपक्षी सांसदों से मांग की जाएगी कि संसद में कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाएं और सरकार को जवाब देने को मजबूर करें. किसानों के दिल्ली कूच को लेकर राजेवाल ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि 22 जुलाई से मानसून सत्र के समापन तक हर रोज संसद भवन के करीब कृषि कानूनों के विरोध में किसान प्रदर्शन करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता दीप खत्री ने एबीपी न्यूज को बताया कि संसद के पास प्रदर्शन करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से हर दिन एक संगठन से पांच लोग यानी करीब 500 किसान बस में बैठ कर जाएंगे. यह सिलसिला सत्र की समाप्ति तक चलता रहेगा.
इसके अलावा पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा 8 जुलाई को प्रदर्शन करेगा. सुबह 10 से 12 बजे तक किसान संगठन सड़क किनारे प्रदर्शन करेंगे.
मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते नवम्बर से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. कानून वापसी की जिद पर अड़े किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जनवरी के बाद से बातचीत ठप है.