कृषि कानूनों के खिलाफ 92 दिन से राजधानी बॉर्डर पर आंदोलन जारी, आज 'दमन विरोधी दिवस' मनाएंगे किसान
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल 26 नवंबर से किसान जुटे हुए हैं. यहां हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदरेशन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमाओं पर किसान आंदोलन का 92वां दिन है. किसान आज 'दमन विरोधी दिवस' मना रहे हैं, जिसमें किसान आंदोलन पर हो रहे चौतरफा दमन का विरोध किया जाएगा. इस दिन सभी तहसील और जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे. इस बात पर जोर दिया जाएगा कि किसानों का सम्मान किया जाए और उनके खिलाफ कोई 'दमनकारी कार्रवाई' नहीं की जाए.
इससे पहले मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर किसानों द्वारा पगड़ी सम्भाल दिवस मनाया गया. सिंघू बॉर्डर पर शहीद भगत सिंह के परिवार के सदस्य भतीजे अभय संधू, तेजी संधू, अनुस्प्रिया संधू और गुरजीत कौर आदि उपस्थित रहे. अभय संधू ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 23 मार्च (शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस) तक सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती तो वे किसानों के समर्थन में आमरण अनशन करेंगे.
दिल्ली बॉर्डर पर और सख्ती किसान आंदोलन के बीच दिल्ली बॉर्डर पर और सख्ती कर दी गई है. सिंघु बॉर्डर इलाका पूरी तरह सील कर दिया गया है. अब यहां से पैदल गुजरने पर भी पाबंदी है. आम लोगों और व्यापारियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं यूपी के बाराबंकी में आज भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत है. यहां हजारों किसानों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी मौजूद रहेंगे.
मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह का यू-टर्न किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने यू-टर्न लिया है. वीएम सिंह ने कहा कि उन्होंने आंदोलन छोड़ा नहीं था, बल्कि गाजीपुर बॉर्डर छोड़ा था. बकौल वी. एम. सिंह उस समय भी उन्होंने आंदोलन का स्वरूप बदलने की बात कही थी, जिसमें हिंसा के लिए कोई जगह नहीं हो. इससे पहले उन्होंने यहां प्रेस क्लब में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा, "हम अब आंदोलन का एक नया स्वरूप लेकर आ रहे हैं."
देश की राजधानी की सीमाओं पर स्थित विभिन्न धरना स्थलों पर पिछले साल 26 नवंबर से जब किसानों का जुटना शुरू हुआ था, तब वीएम सिंह ने गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा संभाला था. लेकिन 26 जनवरी किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद वह अपने समर्थक किसानों के साथ धरना स्थल से वापस लौट गए थे. उन्होंने कहा था कि ज्यादातर किसान संगठनों ने आंदोलन जारी रखना तय किया पर स्वरूप बदलने की बात कही जिसमें मुद्दा प्रासंगिक रहे ओर वहीं किसानों के जान-माल का नुकसान न हो और आंदोलन अराजनैतिक व शांतिपूर्ण रहे.
उन्होंने कहा कि, 'नए स्वरूप के तहत उत्तर प्रदेश के हर गांव में अनिश्चितकालीन लगातार अनशन किया जाएगा. इसका समय सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होगा. इस समय में 11 बजे तीन कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी जाएगी और तीन बजे अनशन पर बैठा हर व्यक्ति दो-दो मिनट का अपना परिचय देते हुए प्रधानमंत्री को अपना संदेश भेजेगा, जिससे उसकी आवाज सीधा प्रधानमंत्री तक पहुंचेगी."
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