Farmers Protest: जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत मांगने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- कभी नहीं खटखटाया SC का दरवाजा
Farmers Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मामले में याचिकाकर्ता का एसकेएम से कोई लेनादेना नहीं है. एसकेएम ने कभी भी काले कानूनों पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है.
Farmers Protest: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का पिछले साल से प्रदर्शन जारी है. वहीं किसानों की ओर से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिया जा रहा है. लंबे वक्त से धरना दिए जाने के कारण दिल्ली बॉर्डर पर आवाजाही प्रभावित है, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसान आंदोलन को लेकर कड़ी फटकार लगाई गई है.
दरअसल, आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे एक किसान संगठन से सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल पूछे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने पहले ही हाईवे रोक रखे है. क्या अब शहर के अंदर भी प्रदर्शन करना चाहते हैं? किसान महापंचायत नाम के संगठन ने प्रदर्शन की इजाजत मांगी थी. इस पर कोर्ट ने लिखित हलफनामा देने को कहा और मामले में सोमवार को अगली सुनवाई होगी. वहीं इस मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इससे उसका कोई लेनादेना नहीं है.
संयुक्त किसान मोर्चा का बयान
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बयान जारी किया है. अपने बयान में एसकेएम ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के मामले में याचिकाकर्ता का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई लेनादेना नहीं है. एसकेएम ने कभी भी तीन काले कानूनों पर निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है. बयान में कहा गया है कि एसकेएम ने हमेशा स्पष्ट कहा है कि दिल्ली की ओर जाने वाले राजमार्गों को बीजेपी की पुलिस के जरिए अवरुद्ध किया गया है. केंद्र सरकार जानती है कि किसानों की जायज मांगों को स्वीकार कर विरोध का समाधान किया जा सकता है लेकिन सैकड़ों किसानों के शहीद होने के बावजूद उसने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है.
आज सुप्रीम कोर्ट ने सड़क रोककर बैठे किसान आंदोलनकारियों को खरी-खरी सुनाई. सुप्रीम कोर्ट ने एक किसान संगठन के वकील से कहा, 'हर नागरिक को सड़क पर आने-जाने का अधिकार है. आप जहां बैठें हैं, क्या उस इलाके के लोगों से पूछा कि वह खुश हैं या नहीं? आपने शहर का गला घोंट रखा है और अब शहर के भीतर प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे हैं? शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का अधिकार है. लेकिन इस आंदोलन में पहले सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई. सुरक्षाकर्मियों पर हमले हुए. रोड और रेल रोक कर व्यापार का नुकसान किया गया. यहां तक कि सेना को भी आवागमन नहीं करने दिया गया. क्या आप जहां बैठे हैं, वहां के स्थानीय निवासियों की तकलीफ समझी?'
वहीं हाल ही में किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने में असफलता पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की भी खिंचाई की. कोर्ट ने कहा कि किसी हाईवे को इस तरह स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता. इस तरह के मामलों के लिए पहले ही स्पष्ट आदेश दिया जा चुका है. सरकार उसे लागू नहीं करवा पा रही है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह आंदोलनकारी नेताओं को मामले में पक्ष बनाने के लिए आवेदन दें ताकि आदेश देने पर विचार किया जा सके.
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