Farmers Protest News: किसान आंदोलन 2.0 के बीच किसा नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार (27 फरवरी, 2024) को बताया कि किसानों के ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ कई बैठकें हुईं लेकिन वह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक मार्च निकालने के पक्ष में नहीं थे.


सरवन सिंह पंढेर ने मीडिया में एसकेएम के इन दावों पर प्रतिक्रिया भी दी कि ‘दिल्ली चलो’ के बारे में फैसला करने के लिए न तो उसे आमंत्रित किया गया और न ही उससे सलाह-मशविरा किया गया. उनका इस पर जवाब आया- यह पूरी तरह से सही नहीं है. 


किसान आंदोलन के 2 महत्वपूर्ण संगठन


दरअसल, दिल्ली की सीमा पर जुटे हजारों किसानों का नेतृत्व कर रहे संगठनों में दो प्रमुख हैं. पहला है- संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और दूसरा है- किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम). ये फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित विभिन्न मांगों को स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान कर रहे हैं. एसकेएम ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का हिस्सा नहीं है पर समर्थन दे रहा है. एसकेएम ने 3 विवादास्पद कृषि कानूनों (समाप्त हो चुके) के खिलाफ 2020-21 में किसानों के आंदोलन की अगुवाई की थी.


'13 बार हुईं बैठकें'


केएमएम नेता पंढेर ने शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि निमंत्रण नहीं देने की बात में सच्चाई नहीं है. हकीकत यह है कि एसकेएम और उसके सहयोगियों के साथ दिल्ली तक मार्च के मुद्दे पर 13 बैठकें हुईं. उन्होंने कहा, ‘‘जब हमें लगा कि उनका रुख साफ नहीं है तो हमने अन्य राज्यों में बातचीत की और कई संगठनों ने हमारा समर्थन किया.’’ पंढेर ने आगे बताया कि एसकेएम ने पिछले साल 10 अक्टूबर को कहा था कि उनका ‘दिल्ली चलो’ से कोई लेना-देना नहीं है.


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