जमींदारा छात्र सभा किसान आंदोलन की जानकारी का बना प्रमुख माध्यम, आईटी सेल के जरिए कर रहा अपडेट
डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए हर दिन किसानों के आंदोलन की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा रही है. ऐसा ही दृश्य टिकरी बॉर्डर पर भी दिखाई दे रहा है. जमींदारा छात्र सभा नाम का संगठन टिकरी बॉर्डर पर मौजूद किसानों की आवाज बन गया है
Farmers protest update: दिल्ली के मुख्य बॉर्डर पर किसान आंदोलन को करीबन एक महीने से ज्यादा होने जा रहा है. किसान मुख्य रूप से सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और यूपी गेट पर डटे हैं. इस बीच उनके आंदोलन का अलग-अलग नजारा देखने को मिल रहा है. कुछ दिन पहले सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के डिजिटल प्लेटफार्म को लॉन्च किया गया था. उसे आई टी सेल किसान और किसानों के बीच में से ही युवा संभाल रहे हैं. प्लेटफॉर्म के जरिए हर दिन किसानों के आंदोलन की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा रही है. ऐसा ही दृश्य टिकरी बॉर्डर पर भी दिखाई दे रहा है. जमींदारा छात्र सभा नाम का संगठन टिकरी बॉर्डर पर मौजूद किसानों की आवाज बन गया है और रोजाना आंदोलन के रंग को दुनिया में पहुंचाने का काम कर रहा है.
किसान आंदोलन के दिख रहे अलग-अलग रंग
टिकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के मुख्य मंच के पास ही एक टेंट लगा हुआ है. टेंट के भीतर कुछ लोग हर वक़्त मौजूद रहते हैं. ये स्टेज और आस पास की होने वाली गतिविधयों पर नज़र रखते हैं. पूछने पर मालूम चला कि ये लोग असल में किसानों के आईटी सेल का काम कर रहे हैं. मंच से जो भी घोषणाएं होती हैं, आंदोलन से जुड़े जो भी नए अपडेट आ रहे हैं, ये लोग उन्हें तेजी से सोशल मीडिया के जरिए एक-एक किसान तक पहुंचाते हैं.
जमींदारा छात्र सभा संगठन के आई टी सेल हेड इंदरजीत कुछ युवाओं के साथ मिलकर काम करते हैं. फेसबुक, ट्विटर दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर JSO के पेज से आंदोलन की अपडेट करते हैं. मोर्चा संभालनेवाले सभी युवा अलग-अलग विषयों के छात्र हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर कहीं और नौकरी कर रहे हैं. युवाओं ने सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन की उपस्थिति दर्ज करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है.
डिजिटल प्लेटफॉर्म को को संभाल रहे किसान
JSO यानी जमींदारा छात्र सभा नाम का यह संगठन साल 2016 में बना था. हरियाणा से शुरू हुए संगठन की पकड़ आज राजस्थान के आठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में हो चुकी है. संगठन के लोग दावा करते हैं कि हरियाणा के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में उनके संगठन ने छात्र संघ चुनावों में भी मजबूत स्थिति बना ली है और उसके कई प्रतिनिधि आज छात्र संघ का हिस्सा हैं. जमींदारा छात्र सभा के महासचिव मीत मान ने बताया कि उनके संगठन में फिलहाल 28 हजार 352 सक्रिय सदस्य हैं.
जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से आज तक इस संगठन के तकरीबन 150-200 सदस्य हर समय टिकरी बॉर्डर पर मौजूद रहते हैं. ये किसानों के लिए सोशल मीडिया हैंडल करने से लेकर सामान मुहैया कराने तक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. संगठन के महासचिव मीत मान ने बताया, "ये लोग किसानों के किसी मुद्दे को जब एक साथ ट्वीट करते हैं, तो आसानी से उसे ट्विटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड करने वाला मुद्दा बना देते हैं. उनमें से करीब 150-200 सदस्य हर समय टिकरी बॉर्डर पर मौजूद रहते हैं और हर नई जानकारी को सोशल मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा रहे हैं."
जमींदारा छात्र सभा भी पहुंचा रहा आवाज
संगठन का दावा है कि उसका मुख्य उद्देश्य गांव के माहौल को बचाना और बढ़ाना है. पढ़ाई से लेकर खेल तक की हर सुविधा के लिए बच्चों को शहर जाना पड़ता है, उसे रोकना ही संगठन का मुख्य उद्देश्य है. जमीन से जुड़ा हर आदमी जमींदार है और उसी के लिए संगठन काम करता है. जमींदारा छात्र सभा नाम रखने की यही वजह. इसका एक विंग जमींदारा सोशलिस्ट ऑर्गनाइजेशन भी है, जिसमें पर्व छात्र शामिल हैं. दावा यह भी है कि हरियाणा के अलग-अलग गांवों में कुल 22 लाइब्रेरी भी उसकी मदद से चल रही है, जहां किसानों के लिए सिर्फ किताबें ही उपलब्ध नहीं हैं बल्कि अन्य सुविधाएं भी मिल रही हैं.
वृद्वा पेंशन से लेकर किसानों को सस्ते बीज उपलब्ध करवाना, फसल का रजिस्ट्रेशन करवाना और युवाओं के लिए रोजगार से संबंधित जानकारी जुटाने का काम भी लाइब्रेरी में होता है. फिलहाल टिकरी बॉर्डर पर संगठन लंगर भी चला रहा है और अन्य लंगरों को राशन और सब्जियां उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी है. फंड के बारे में संगठन के महासचिव ने बताया कि गांव में मौजूद लोग राशन वगैरह भेजते हैं.
खार में नए साल की पार्टी में हुई थी युवती की निर्मम हत्या, अब भी नहीं सुलझी मर्डर की गुत्थी
AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया बोले- हमें जल्द वैक्सीन को जारी कर देना चाहिए