नई दिल्लीः केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पास किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संगठन 'दिल्ली चलो मार्च' के जरिये धरना- प्रदर्शन करना चाहते हैं. किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर रोकने के लिये पुलिस प्रशासन पूरी तैयारी कर रहा है.


राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से अधिक है. कोविड-19 की वजह से पैदा आर्थिक मंदी के बीच 2020-21 में इसकी हिस्सेदारी और भी अधिक होने की उम्मीद है.


नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 10.07 करोड़ परिवार खेती पर निर्भर हैं. यह संख्या देश के कुल परिवारों का 48 प्रतिशत है. एक कृषि आधारित परिवार में वर्ष 2016-17 में औसतन सदस्य संख्या 4.9 थी. अगल-अलग राज्यों में इसकी संख्या भी अलग-अलग है. जैसे केरल में एक परिवार में 4 सदस्य हैं, तो वहीं उत्तर प्रदेश में सदस्य संख्या 6, मणिपुर में 6.4, पंजाब में 5.2, बिहार में 5.5, हरियाणा में 5.3 कर्नाटक और मध्य प्रदेश में 4.5 और महाराष्ट्र में 4.5 थी.



इधर, किसानों के कूच को देखते हुये दिल्ली से सटे सभी बॉर्डर को सील कर दिया गया है. दिल्लील पुलिस ने कोरोना महामारी को देखते हुए बाहरी दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर कोविड-19 का बैनर लगा दिया है. इसमें साफ लिखा है कि किसी भी तरह के प्रदर्शन की इजाजत नही है. इसका उल्लंकघन करने पर कार्रवाई की जाएगी. बॉर्डर पर ही वाहनों को रोककर कागज देखे जा रहे हैं और वजह पूछी जा रही है. इसके बाद ही दिल्ली में प्रवेश दिया जा रहा है.


दिल्ली पुलिस ने किसानों रोकने की पूरी तैयारी कर रखी है. 12 कंपनी फोर्स बाहर से बुलाई गई हैं. नई दिल्ली डिस्ट्रिक्ट और आसपास करीब 2500 पुलिसकर्मी तैनात हैं जिनमें पैरमिलिट्री फोर्स भी शामिल है.


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