Farmers Protest: किसान आंदोलन पर ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से क्यों मचा है इतना बवाल?
जब उस ट्वीट के लिंक पर क्लिक करते हैं तो एक पेज खुलता है. इस पेज में किसान आंदोलन से जुड़े हुए तमाम आंदोलनों की तारीख और उस दौरान सोशल मीडिया पर हेशटैग से लेकर आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों को शेयर करने का जिक्र है.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वालीं ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के टूलकिट ने नया बवाल खड़ा कर दिया है. दरअसल, बवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि ग्रेटा थनबर्ग ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और ट्वीट में अटैच टूलकिट से टेररिस्ट होने के कई सबूत हाथ लग गए. यहाँ से खालिस्तान का लिंक खुलकर सामने आया है. ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट में किसान आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया लेकिन ग्रेटा की एक गलती से इस आंदोलन के जरिए भारत में हिंसा फैलाने, अफवाह फैलाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा का भी खुलासा हो गया.
दरअसल, जब उस ट्वीट के लिंक पर क्लिक करते हैं तो एक पेज खुलता है. इस पेज में किसान आंदोलन से जुड़े हुए तमाम आंदोलनों की तारीख और उस दौरान सोशल मीडिया पर हेशटैग से लेकर आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों को शेयर करने का जिक्र है. ऐसा ही एक जिक्र इस टूलकिट या टेररिस्ट किट में भी है और वो है 26 जनवरी का दिन, जिसे आंदोलन के लिए 'गोल्डन डे' बताया गया है. बता दें कि ग्रेटा ने गलती से पुराना टूल किट या टेररकिट अपने ट्वीट में लिंक कर दिया था. इससे खुलासा हो गया कि दिल्ली में हिंसा की साजिश पहले से प्लान की गयी थी और पूर्वनियोजित थी. इसलिए ग्रेटा ने अपना ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया. इसके बाद शर्मिंदगी छिपाने के लिए नया ट्वीट, टूलकिट के साथ ट्वीट तो किया गया लेकिन उसमें भविष्य की कोई भी योजना नहीं लिखी गई.
वेबसाइट
वहीं जब इस टूलकिट उर्फ टेररकिट के लिंक पर क्लिक करके अंदर जाते हैं तो किसान आंदोलन से जुड़ी कई सामग्री मिलती है. साथ में पेज नंबर तीन पर वेबसाइट का लिंक www.askindiawhy मिलता है. इस वेबसाइट के आखिरी पेज पर एक लिंक मिलता है 'पोएटिक जस्टिस फाउंडडेशनट'. ये संस्था कनाडा के वैकुंबर में रहने वाले और खालिस्तानी समर्थक 'मो धालीवाल' चलाते हैं, इस संस्था के इंस्टाग्राम पेज से पता चलता है कि ये संस्था पॉप सिंगर रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग को फंड करती है.
बता दें कि इस 'मो धालीवाल' और सिख फॉर जस्टिस के मुख्य संरक्षक गुरपतवंत सिंह पन्नुन का सिख फॉर जस्टिस एक खालिस्तानी संगठन है और भारत में इस पर प्रतिबंध है. साथ ही इस पन्नुन को भी युएपीए के तहत आतंकी घोषित किया गया है. इन दोनो संगठनों सिख फॉर जस्टिस और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने 26 जनवरी को इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा फहराने पर ढाई लाख डॉलर का इनाम घोषित किया था और 26 जनवरी को आंदोलन के लिए गोल्डन डे भी घोषित किया था. मतलब साफ है. दोनों संगठन भारत में अराजकता, हिंसा, अफवाह और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते थे. ऐसे संगठन जो देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है, उनसे पॉप सिंगर रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा जुड़कर भारत के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं. जाहिर तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख और छवि को खराब करने की ये कोशिश ही नहीं है बल्कि भारत में अराजकता फैलाना भी इसका मकसद है.
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