नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर किसान पिछले चार दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों के उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच एंट्री प्वाइंट्स को बंद कर देंगे.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि इन कृषि सुधारों ने किसानों को नए अधिकार और अवसर दिए हैं. बहुत कम समय में उनकी परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है. हालांकि इसके बाद भी गतिरोध कम होता नहीं दिखा. गृह मंत्रालय ने भी किसान संगठनों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान पहुंचने के बाद उनसे बातचीत करेगा.


"बुराड़ी मैदान एक खुली जेल है"
किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें. उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी मैदान एक 'खुली जेल' है. वहीं विपक्षी पार्टियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार को किसानों के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू करनी चाहिए.


भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुरजीत एस फूल ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई शर्त हमें स्वीकार नहीं है. हम कोई सशर्त बातचीत नहीं करेंगे. हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं. घेराव खत्म नहीं होगा. हम दिल्ली में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करेंगे. बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान है. हम कभी बुराड़ी नहीं जाएंगे. वह पार्क नहीं है बल्कि खुली जेल है."


भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चाधोनी ने कहा, "हम उनके (सरकार) प्रस्ताव की शर्त को स्वीकार नहीं करेंगे. हम बातचीत करने को तैयार है लेकिन अभी कोई शर्त नहीं स्वीकार करेंगे."


आरोप-प्रत्यारोप
प्रदर्शनकारी किसानों के दिल्ली की तरफ बढ़ने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच आरोप-प्रत्यारोप सुनने को मिले. सिंह और उनकी कांग्रेस पार्टी ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और खट्टर सरकार की आलोचना की जिसने बीजेपी शासित हरियाणा से प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास किया.


खट्टर ने कहा कि अगर किसानों के दिल्ली के साथ लगी राज्य की सीमाओं पर एकत्रित होने से कोविड-19 महामारी के हालात बिगड़ते हैं तो वह अमरिंदर सिंह को जिम्मेदार को ठहराएंगे. पूरा प्रदर्शन कांग्रेस और पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित है. कृषि कानूनों पर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार 'सत्ता के नशे में चूर' है.


किसान आंदोलन का असर
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरना-प्रदर्शन के चलते फलों और सब्जियों की आपूर्ति बाधित होने से रविवार को इनकी कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. खासतौर से आलू और सेब के दाम बढ़ गए हैं. कारोबारियों का कहना है कि आवक घटने के कारण इनकी कीमतों में आगे और इजाफा हो सकता है. कारोबारियों ने बताया कि दिल्ली में इस समय नया आलू हिमाचल प्रदेश और पंजाब से आता है जबकि सेब जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से आता है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते ट्रकों दिल्ली आने वाले मुख्यमार्ग पर धरना प्रदर्शन के चलते आवक बाधित हो गई है.


दिल्ली में जहां सेब का खुदरा भाव रविवार को रुपये 120 किलो से ऊपर चल रहा था, जबकि दो दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी में सेब 80 से 100 रुपये किलो बिक रहा था. इसी प्रकार आलू का भाव जहां 40 रुपये प्रति किलो चल रहा था वहां रविवार को 50 रुपये किलो आलू बिक रहा था। इसी प्रकार, अन्य शाक-सब्जियों के दाम में भी बढ़ोतरी देखी गई.


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