नई दिल्ली: ​सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच पांचवें दौर की बातचीत से पहले अखिल भारतीय किसान सभा के अधिकारियों ने कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह किसान आंदोलन खत्म होगा. दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बैठक हुयी थी जो बेनतीजा रही. किसान इन कानूनों को खत्म करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे.


अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद ने कहा, 'हमारे दिमाग में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इन कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह आंदोलन खत्म होगा. हम यहां से नहीं हिलेंगे. हम चाहते हैं कि सरकार अपने प्रस्ताव को संसद में ले जाए और इस मुद्दे पर संसदीय समिति चर्चा करे. हम लोगों को इस कानून को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मान्य नहीं होगा.'


"कानूनों से कृषि में विदेशी हस्तक्षेप को अनुमति मिलेगी"
भयंकर सर्दी के बीच हजारों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए पिछले 10 दिनों से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं. प्रसाद ने कहा, 'इस मौके पर ट्रांसपोर्ट यूनियनों, खुदरा व्यापारियों और अन्य सबंधित समूहों ने हमारे साथ एकजुटता दिखायी है. हमारा आंदोलन केवल किसानों के लिए नहीं है.' प्रसाद ने दावा किया कि इन कानूनों से कृषि में विदेशी हस्तक्षेप को अनुमति मिलेगी और कहा कि इनसे कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट का अधिपत्य हो जाएगा.


अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रदर्शनका​री किसानों के खिलाफ देशभर में दर्ज मामलों को बिना शर्त वापस लिए जाने की भी मांग की. किसान संगठन ने ट्वीट किया, 'किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को डराने धमकाने के लिए दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल करने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा मोदी सरकार की कड़ी निंदा करता है.'


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