जम्मू: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर युद्ध विराम की घोषणा के बाद जम्मू में पाकिस्तान से सटे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसानों ने कई सालों बाद जीरो लाइन पर अपने खेतों का रुख किया है. किसान इस फैसले को देरी से आया हुआ लेकिन सही फैसला मानते हैं.


जम्मू के आर एस पुरा सेक्टर में जीरो लाइन से सटे हरे भरे खेतों के बीच किसान कई सालों बाद पहुंचे हैं. बीते कई सालों से भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनातनी से यह किसान अपने खेतों में नहीं जा रहे थे क्योंकि पाकिस्तान की गोलाबारी इनके खेतों को निशाना बनाती थी.


लेकिन 25 फरवरी को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच सीमा पर शांति की रजामंदी के बाद अब यह किसान वापस अपने खेतों में पहुंचे हैं और सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं. सरकार के युद्ध विराम के इस फैसले से खुश किसान दावा कर रहे हैं कि अब न केवल सीमा पर शांति से उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा बल्कि उनके बच्चे भी अब आराम से स्कूल जा पाएंगे.


सरकार के इस फैसले के बाद कई महिला किसानों ने भी अपने खेतों का रुख किया है. इन किसानों का दावा है कि अब जीरो लाइन से सटे अपने खेतों में न केवल खेती-बाड़ी कर पाएंगे बल्कि उनके पशुओं के लिए भी अब चारा उपलब्ध होगा. वहीं आर एस पुरा के सुचेतगढ़ सेक्टर से हाल ही में डीडीसी का चुनाव जीतकर आए तरनजीत सिंह टोनी पीएम के इस शांति वार्ता के कदम का स्वागत कर रहे हैं.


उनके मुताबिक उनके इलाके के किसान पाकिस्तान की गोलाबारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और कई किसानों की तो पाकिस्तान की गोलाबारी में जानता गई है. लेकिन प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद जम्मू में सीमा से सटे हुए इलाकों में रह रहे किसान काफी खुश हैं और वह दावा कर रहे हैं कि पीएम कि सबका साथ सबका विकास के नारे पर अब सही अमल होगा. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शांति समझौते के बाद अब किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि तारबंदी के पाकिस्तान वाली तरफ जो खेत हैं उन खेतों में भी इन किसानों को जाने की अनुमति दी जाए.


यह भी पढ़ें.


क्या अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में होगी कमी? इस सवाल पर निर्मला सीतारमण ने दिया ये जवाब


अंबानी के आवास के पास जो स्कॉर्पियो हुई थी बरामद उसके मालिक का मिला शव