दिल्ली: सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने लगाई वाशिंग मशीन, सेवाभाव से धो रहे हैं आंदोलनकारियों के कपड़े
किसानों के एक समूह ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के कपड़े धोने के लिए वाशिंग मशीनें लगाकर लांड्री सेवाएं शुरू की है. इन मशीनों के जरिए रोजाना किसानों के कपड़े धोए जा रहे हैं.
नई दिल्ली: नए कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 16 दिनों से जारी है और लंबा चल सकता है. लिहाज़ा सिंघु बॉर्डर पर मानो धीरे-धीरे किसानों की बढ़ती संख्या के साथ शहर बसता जा रहा है. किसानों ने सड़क पर ही दो वॉशिंग मशीन लगा दी हैं और सेवा भाव से आंदोलन से जुड़े लोगों की मदद करने के लिए लोगों के कपड़े धोना शुरू कर दिया है.
किसानों ने कहा- हम कानून रद्द करा कर ही रहेंगे
लुधियाना से मशीन खरीद कर लाये प्रिंस कहते हैं कि आंदोलन से जुड़े होने के एक हफ्ते बाद मैं और मेरे साथी अपने कपड़े धुलवाने के लिए वापस घर गए, तब हमें एहसास हुआ कि बाकी लोगों को भी हमारी तरह ही कपड़े साफ करने में आंदोलन के दौरान परेशानी हो रही होगी इसलिए मैंने ये मशीन सेवाभाव से आंदोलन के लिए खरीदी है. " जो लोग बुर्जुग हैं या दिव्यांग हैं और उन्हें कपड़े धोने में मुश्किल हो रही थी उन सबके लिए लगाई है. हमें दान में सर्फ एक्सेल इत्यादि उपलब्ध कराया जा रहा है. बिजली और पानी का कनेक्शन पास में मौजूद दुकान से फ्री मिला है."
मशीन को चलाने वाले 65 वर्षीय अजीत सिंह कहते हैं कि आंदोलन कितना भी लंबा चले हम तैयार हैं. 6 महीने का राशन तो लेकर आये ही हैं अब कपड़े धोने का इंतज़ाम भी हो गया है. हम कानून रद्द करा कर ही रहेंगे."
किसानों को सता रहा है ये डर
किसानों को डर है कि नए कानून से निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचेगा और उन्हें अपनी फसलों को कम कीमत पर बेचना पड़ेगा. इसके अलावा यह भी आशंका है कि किसानों को न्यूनतम समर्थम मूल्य से भी वंचित किया जा सकता है. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सभी बैठकें बेनतीजा रही हैं.
किसान संगठनों ने 14 दिसंबर से देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है और आज दिल्ली -जयपुर हाईवे बंद करने और सभी टोल प्लाजा पर कब्जा करने का ऐलान भी किया है.
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