मुंबई: कर्जमाफी की मांग को लेकर महाराष्ट्र के किसान हड़ताल पर हैं. जिसके चलते बाजार में दूध और सब्जियों की कमी हो गई है. गुरुवार को किसानों ने कहीं भजन गाकर, तो कहीं सड़क पर दूध और सब्जियां फेंककर विरोध प्रदर्शन किया. कर्ज माफी पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को मदद देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद सीएम फडणवीस ने भी पूर्ण कर्ज माफी पर हाथ खड़े कर दिए.


हिंसा की छिटपुट घटनाएं


महाराष्ट्र में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मुंबई और कुछ अन्य शहरों के लिए सब्जियों और दूध की आवाजाही रोकने के प्रयास सहित हिंसा की छिटपुट घटनाएं देखी गई. प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसानों ने कर्ज माफी सहित विभिन्न मांगों को उठाने के लिए गुरुवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया.


'इतनी तो सरकार की आमदनी भी नहीं'


किसानों की कर्जमाफी की मांग पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मजबूरी जताते हुए कहा है कि 1.34 लाख करोड़ की रकम कर्ज माफी के लिए चाहिए. इतनी तो सरकार की आमदनी भी नहीं है.


हड़ताल पर हैं 80 फीसदी किसान


महाराष्ट्र में किसानों ने पूर्ण कर्ज माफी की मांग को लेकर सड़कों पर सब्जियों और दूध उड़ेल कर प्रदर्शन किया. सड़कों पर दूध बहाकर और टमाटर फैलाकर, तो कहीं भजन गाकर...महाराष्ट्र के किसानों का आंदोलन कुछ इस तरह से शुरू हुआ. कई मांगों को लेकर राज्य के लाखों किसान हड़ताल पर हैं. हड़ताल में दुग्ध उत्पादक भी शामिल हैं.


सरकार के विरोध में किसान न तो खेत से फसल काटेंगे न ही मंडियों में अनाज पहुंचाएंगे और न ही दूध की सप्लाई करेंगे. इस हड़ताल में अलग-अलग किसान संगठन शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के 80 फीसदी किसान हड़ताल पर हैं.


जानें क्या है किसानों की मांग ?


किसानों की मांग है कि राज्य में किसानों के कर्ज माफ किए जाएं, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाएं, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों में किसानों को उनकी उपज की लागत से डेढ़ गुना ज्यादा देने और फसल लागत मूल्य से 50 फीसदी अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने जैसी सिफारिशें शामिल हैं. इसके अलावा किसानों की मांग है कि खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिले. 60 साल के किसानों के लिए पेंशन स्कीम लागू की जाए और एक लीटर दूध के लिए दुग्ध उत्पादकों को 50 रुपये कीमत मिले.


सरकार के लिए किसानों की मांगों को मानना आसान नहीं


राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए किसानों की मांगों को मानना आसान नहीं है. किसान संगठन सभी किसानों की कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं. महाराष्ट्र मे कुल 1 करोड़ 36 लाख किसान हैं. इन किसानों पर कुल कर्ज 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये हैं, जबकि राज्य सरकार सिर्फ 31 लाख किसानों का 30 हजार 500 करोड़ रुपये माफ करने पर विचार कर रही है.


और बढ़ गई महाराष्ट्र सरकार की मुश्किलें


महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि वो यूपी की योगी सरकार की कर्ज माफी की नीति का अध्ययन करने के बाद कोई फैसला लेगी लेकिन उस पर कुछ अमल नहीं हुआ. इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि कर्ज माफी पर राज्य केंद्र से मदद की आस न रखें. वित्त मंत्री जेटली के बयान के बाद अब महाराष्ट्र सरकार की मुश्किल और बढ़ गई है. राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं.


पिछले दिनों विधानसभा में सीएम ने विपक्ष से कहा था कि वो गारंटी ले कि कर्ज माफी के बाद किसानों की आत्महत्या नहीं करेंगे. इधर अगर किसानों की महाहड़ताल का दायरा अगले कुछ दिन और बढ़ा तो मुंबई समेत महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में न सिर्फ सब्जी और दूध की किल्लत शुरू हो जाएगी बल्कि उनके दाम भी बेतहाशा बढ़ जाएंगे. ऐसे में फडणवीस सरकार को वक्त रहते कदम उठाना होगा.


सब्जियों और दूध की आवाजाही रोकने का प्रयास


कृषि क्षेत्र के विभिन्न संगठनों के आह्वान पर इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत कल रात सतारा, कोल्हापुर और नासिक के किसानों के कुछ समूहों ने मुंबई को दूध और सब्जियों की आपूर्ति को बाधित करने का प्रयास किया. हालांकि मुंबई स्थित व्यापारियों ने दावा किया है कि फिलहाल वे इस हड़ताल से प्रभावित नहीं हुए हैं लेकिन उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि अगर हड़ताल जारी रहती है तो प्रदेश भर के उत्पादन केन्द्रों से होने वाली आपूर्ति प्रभावित होगी.


कोल्हापुर जिला सहकारी दुग्ध सोसायटी लिमिटेड, जिसे गोकुल डेयरी नाम से जाना जाता है, ने एक शिकायत में आरोप लगाया कि जब वे आज सुबह मुंबई के लिए दूध ले जा रहे थे तो उनके टैंकरों पर हमला किया गया. सतारा के पुलिस नियंत्रण कक्ष ने पुष्टि की है कि टैंकर को क्षतिग्रस्त करने के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.