नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 43वें दिन भी जारी है. किसानों और सरकार के बीच अभी तक इस मसले पर कोई हल नहीं निकल सका है. विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए किसानों ने आज ट्रैक्टर मार्च निकाला. वहीं मार्च के दौरान जब किसानों को भूख लगी तो ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ही किसानों ने अपना लंगर शुरू कर दिया. दरअसल किसानों के ट्रैक्टर मार्च में अलग से गाड़ियों में किसानों के लिए खाने का इंतजाम किया गया था. इन गाड़ियों में पानी की व्यवस्था, खाने के लिए रोटी सब्जी और फल रखे गए थे.


किसानों के एक जत्थे ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ही अन्य किसान भाइयों के लिए खाने की व्यवस्था करते हुए बीच मार्ग पर ही लंगर सेवा शूरु कर दी. किसानों ने जमीन पर बैठ कर खाना खाया और फिर अपने अन्य साथियों के मार्च में शामिल हो गए. प्रशासन द्वारा किसानों के इस मार्च पर पूरी नजर बनी रही, पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी भी किसानों के साथ इस मार्च में साथ साथ चलते रहे.


संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर मार्च का एलान पहले ही किया था जिसमें सरकार के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने की सूरत में छह जनवरी को मार्च निकालने का ऐलान किया गया था. मगर, मौसम खराब होने के पूवार्नुमान हो देखते हुए इसे एक दिन बढ़ाकर सात जनवरी कर दिया.


"ये मार्च 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल"
किसान संगठनों का कहना है कि आज का ट्रैक्टर मार्च 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ये सरकार के खिलाफ किसान भाइयों का गुस्सा है, सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए. ये तो सरकार को सोचना है कि कितनी जल्दी बात खत्म कर सकते हैं. हम तो बस कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं.


इस मसले के समाधान के लिए किसानों की सरकार के साथ वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है. पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेकेट्ररी हरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार के साथ शुक्रवार को होने वाली वार्ता भी अगर विफल रहती है तो आंदोलन तेज करने को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी.


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