नई दिल्ली: किसान आंदोलन का आज 19वां दिन है, दिल्ली के अलग अलग बॉर्डरों पर जमे किसान आज से अपना आंदोलन और तेज करने वाले हैं. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आज दिल्ली के अलग अलग बॉर्डरों पर एक दिन का उपवास रखेंगे. यह उपवास सुबह आठ बजे से शुरू होकर शाम पांच बजे तक चलेगा. इसके साथ ही देशभर में जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन का भी प्रोग्राम है.


आंदोलन कर रहे किसान नेताओं की पहले दिन से यही मांग है कि तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं और सरकार भी हर बार यही संदेश दे रही है कि कानून उनके भले के लिए है. फिलहाल सरकार और किसानों में बातचीत बंद है लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें बातचीत से कोई परहेज नहीं है बशर्ते बात आगे बढ़नी चाहिए. किसानें के आंदोलन से जुड़ी दस बड़ी बातें.....


1. दिल्ली के सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन आज उन्नीसवें दिन में दाखिल हो चुका है. कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन हर बीतते दिन के साथ और तेज होता जा रहा है. इसी कड़ी में आज आंदोलन कर रहे किसान नेता एक दिन का उपवास रखने वाले हैं. अनशन सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक चलेगा.


2. किसानों की भूख हड़ताल के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आज उपवास का एलान कर दिया है. आप कार्यकर्ता भी सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास करेंगे. आप कार्यकर्ताओं को बिना पार्टी का झंडा और टोपी लगाए उपवास के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली में पार्टी दफ्तर पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अनशन करेंगे


3. समाजवादी पार्टी 8 दिसम्बर के भारत बंद के बाद अब आज सभी जिला मुख्यालयों पर अहिंसात्मक किसान धरना कार्यक्रम में भागीदारी निभाएगी. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को किसान आंदोलन के समर्थन में सपा के सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को शांतिपूर्ण धरना देने का निर्देश दिया था. समाजवादी पार्टी किसानों के आंदोलन का समर्थन् कर रही है.


4. दिल्ली-हरियाणा के बीच सिंघु और टिकरी बॉर्डर के साथ-साथ राजस्थान के किसान संगठन भी रविवार को दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं. राजस्थान से आने वाले किसानों के लिए हरियाणा पुलिस ने पहले ही व्यवस्था चाक चौबंद कर दी. जिसका नतीजा ये हुआ कि किसानों को रेवाड़ी में ही रोक दिया गया. किसान नेताओं का दावा है कि कल से पंजाब से महिला किसानों का जत्था भी दिल्ली के बॉर्डर पर आकर आंदोलन में शामिल होने वाला है.


5. किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, 'सरकारी एजेसियां किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक रही हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगे नहीं मान ली जातीं तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.' उन्होंने कहा, 'हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए. इस आंदोलन में भाग ले रहे सभी किसान संघ एकजुट हैं.' एक और किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'अगर सरकार बातचीत का एक और प्रस्ताव रखती है तो हमारी कमेटी उसपर विचार करेगी. हम सभी से प्रदर्शन के दौरान शांति बरकरार रखने की अपील करते हैं.'

6. किसान आंदोलन को समर्थन करने वालों का सिलसिला लगातार जारी है. रविवार को टिकरी बॉर्डर पर सैनिकों ने किसानों के समर्थन में अपने मेडल वापस कर दिए. इससे पहले कल ही पंजाब के डीआईजी जेल लखमिंदर सिंह जाखड़ ने भी किसानों के समर्थन का एलान करते हुए अपना इस्तीफा दे दिया.


7. किसानों के साथ साथ अब सरकार ने भी समर्थन की तस्वीर देश के सामने पेश करनी शुरू कर दी है. रविवार को कृषि बिल के समर्थन में उत्तराखंड से आए किसानों ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात भी की. कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के किसान कानून के समर्थन में मुझसे मिलने आए थे. हम भारत सरकार की ओऱ से उनका धन्यवाद करते हैं. हालांकि आंदोलन कर रहे किसान नेताओं का आरोप है कि मंत्री से मिलने वाले किसान हैं ही नहीं.


8. सरकार की तरफ से उस आंदोलन को हाईजैक किए जाने का आरोप लगने लगा है. पटना के बख्तियारपुर में पहले किसान चौपाल में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन को टुकड़े-टुकड़े गैंग ने हाईजैक कर लिया है. रविशंकर प्रसाद की तरह ही यूपी के सीएम योगी ने भी किसानों के नाम पर सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को खुली वॉर्निंग दे दी.


9. देश में किसान नेता आंदोलन को सुरक्षित रखने की कोशिश का दावा कर रहे हैं लेकिन अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावास के बाहर महात्मा गांधी की मूर्ति पर खालिस्तान के झंडे लगा दिए. भारत ने इस घटना पर सख्त नाराजगी जताते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है. किसान नेता भी महात्मा गांधी की मूर्ति पर खालिस्तान के झंडा लगाने की घटना की निंदा कर रहे हैं.


10 किसान आंदोलन की आड़ में अलगाववादियों की साजिश का भी खुलासा हुआ है. खुफिया एंजेंसियों के मुताबिक सिख फ़ॉर जस्टिस और जॉइंट खालिस्तान फ्रंट जैसे खालिस्तानी संगठन अलगाववादी एजेंडा बढ़ाने की फिराक में हैं. जॉइंट खालिस्तानी फ्रंट के संयोजक अमरजीत सिंह जैसे घोषित भारत विरोधी तत्व तो खुले आम न केवल पाकिस्तान से मदद मांग रहे हैं. बल्कि अमेरिका से चल रहे टीवी84 जैसे प्रोपागेंडा चैनल और सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात की शिकायत भी दर्ज कराते नज़र आते हैं कि पाक मीडिया और सरकार भारत के किसान आंदोलन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे रही.