नई दिल्ली: 26 जनवरी के दिन किसान संगठनों की दिल्ली में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. दिल्ली पुलिस ने अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा कार्यक्रम है. आंदोलन के नाम पर देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी की इजाज़त नहीं दी जा सकती.


दिल्ली पुलिस ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट ट्रैक्टर रैली या गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को किसी भी तरह से बाधित करने पर रोक लगाए. कोर्ट ने इस अर्ज़ी पर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.


पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में संदिग्ध संगठनों की सक्रियता पर भी संज्ञान लिया था. एक अर्ज़ी में कोर्ट को बताया गया था कि आंदोलन में कनाडा के संगठन 'सिख फ़ॉर जस्टिस' के बैनर लहरा रहे हैं. इस बात की आशंका है कि अलग खालिस्तान का समर्थक यह संगठन आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध करवा रहा है. कई देश विरोधी घटनाओं में संदिग्ध PFI भी आंदोलन को भड़काने में लगा है. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात को गंभीर बताते हुए केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा था. सुनवाई में इसकी भी चर्चा होगी.


सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते नए किसान कानूनों पर रोक लगाते हुए एक कमेटी का गठन किया था. 4 सदस्यों की इस कमेटी को किसान संगठनों से बात कर मसले का हल निकालने का ज़िम्मा सौंपा गया है. लेकिन कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमिटी से अलग कर लिया है. ऐसे में कोर्ट में यह मसला भी उठ सकता है. कोर्ट मान के बदले नए सदस्य को नियुक्त कर सकता है. वैसे, कुछ संगठनों ने बाकी 3 सदस्यों- अशोक गुलाटी, अनिल घनवट और प्रमोद जोशी को भी हटाने की मांग की है.


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