Farmers Rally: किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता, पुलिस पर पत्थरबाजी, राकेश टिकैत का हिंसा से इनकार
किसानों के उग्र प्रदर्शन से किसान नेता ने पल्ला झाड़ लिया है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है उसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है. पिछले करीब दो महीने से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर जमे किसानों ने मंगलवार को ट्रैक्टर रैली निकाली, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैरेकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और जबरन तोड़फोड़ की.
इस दौरान पुलिस के साथ कई झड़प के दृश्य भी सामने आए. सेंट्रल दिल्ली के आईटीओ में प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए. लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़कर पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की.
/code>Police use tear gas shells to disperse the protesting farmers at ITO in central Delhi. #FarmersLaws pic.twitter.com/FiF68Q0cVM
— ANI (@ANI) January 26, 2021
हालांकि, किसानों के उग्र प्रदर्शन से किसान नेता ने पल्ला झाड़ लिया है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें हिंसक घटना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. राकेश टिकैत ने कहा कि रैली शांतिपूर्ण हो रही है. मुझे हिंसा के बारे में जानकारी नहीं है.
Rally is going on peacefully. I don't have any knowledge of it. We are at Ghazipur and are releasing the traffic here: Rakesh Tikait, Spokesperson, Bharatiya Kisan Union (BKU) when asked about incidents of violence at some locations, during the tractor rally.#FarmersProtests pic.twitter.com/hDcWYOFwsU
— ANI (@ANI) January 26, 2021
उधर, किसान के प्रदर्शन के दौरान आईटीए में एक ग्रुप की तरफ से हमले की कोशिश के बीच किसानों के एक दूसरे ग्रुप एक पुलिसवाले को बचाते हुए भी दिखे. जाहिर है 26 जनवरी को किसान आंदोलन के नाम पर जो कुछ हुआ है यह घटना निंदनीय है. कृषि कानूनों की आड़ में इसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है.
गौरतलब है कि किसान संगठन केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में लाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर पिछले करीब महीने से भी ज्यादा वक्त से दिल्ली और इसके आसपास के सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए. जबकि, सरकार का कहना है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और नए निवेश के अवसर खुलेंगे.
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