नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में तीनों कृषि कानूनों के अमल पर फौरी रोक लगा दी है और चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में शामिल एक सदस्य अनिल घनवट ने कहा है कि प्रदर्शनकारी किसानों को न्याय मिलेगा.


अनिल घनवत महाराष्ट्र के बड़े किसान संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. घनवत ने एएनआई से कहा, "यह आंदोलन रुकना चाहिए और किसानों के हित में एक कानून बनाया जाना चाहिए. पहले हमें किसानों की बात सुनने की जरूरत है, अगर उन्हें एमएसपी और एपीएमसी को लेकर कुछ गलत धारणा है तो हम इसे स्पष्ट कर देंगे. उन्हें आश्वस्त करने की जरूरत है कि जो कुछ भी हो रहा है वह उनके हित में है."


घनवत ने आगे कहा, "कई किसान नेता और यूनियनें एपीएमसी के एकाधिकार से आजादी चाहती हैं. इसे रोकने की जरूरत है और किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी दी जानी चाहिए. इसकी पिछले 40 साल से मांग हो रही है. जो किसान एमएसपी चाहते हैं उन्हें मिलना चाहिए और जो इससे मुक्ति चाहते हैं, उनके पास भी एक ऑप्शन होना चाहिए.''


अनिल घनवत सालों से कृषि कानूनों में सुधार की बात करते रहे हैं. मौजूदा कृषि कानूनों को लेकर भी अनिल घनवत ने इन कानूनों का यह कहते हुए समर्थन किया था कि इन कृषि कानूनों का सिरे से विरोध नहीं किया जा सकता और इसी आधार पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए उठ रही मांगों को गलत ठहराया था.


कमेटी 10 दिन में शुरू करेगी काम
कोर्ट ने कमेटी के सदस्य के तौर पर 4 लोगों को शामिल किया है. यह लोग हैं- भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के नेता अनिल घनवटे, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी. कोर्ट के आदेश के 4 मुख्य बिंदु हैं :-




  • नए कानूनों के अमल पर रोक

  • फिलहाल MSP व्यवस्था बनी रहे. ज़मीन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए

  • 4 सदस्यीय कमेटी 10 दिन में काम शुरू करे. इसके 2 महीने में रिपोर्ट दे

  • अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद


वहीं किसान संगठनों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी में जितने सदस्य हैं वे कृषि कानूनों के समर्थक हैं. वे कानून के समर्थन की सार्वजनिक वकालत कर चुके हैं. किसान नेताओं ने कहा कि वे इस कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. उनका आंदोलन जारी रहेगा और 26 जनवरी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा.


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