सरकार ने अक्टूबर तक बात नहीं मानीं, तो देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों की निकालेंगे रैली: राकेश टिकैत
बीते 2 महीने से अधिक समय से किसान कृषि कानून का विरोध कर रहें हैं. गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. वहीं गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया गया है.
नई दिल्ली: राजधानी की सीमाओं पर किसान आंदोलन को 70 दिन हो गए हैं. किसान तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. किसान संगठन लगातार अपना आंदोलन तेज कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. राकेश टिकैत ने सरकार को अक्टूबर तक का समय देने की बात कही है. उसके बाद देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकालने की चेतावनी दी है.
राकेश टिकैत ने कहा, 'हमने सरकार को अक्टूबर तक का समय दिया है. अगर वे हमारी बात नहीं मानते हैं, तो हम 40 लाख ट्रैक्टरों की एक देशभर में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे.'
We have given the govt time till October. If they do not listen to us, we will go on a pan-country tractor rally of 40 lakh tractors: Rakesh Tikait, BKU leader https://t.co/NFt3m5yrwa pic.twitter.com/VA0v9HC6CB
— ANI (@ANI) February 2, 2021
6 फरवरी को देशभर में 12 से 3 करेंगे चक्का जाम वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को दिन के 12 बजे से 3 बजे तक पूरे देशभर में चक्का जाम करने का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने पुलिस पर आरोप लगाया कि प्रदर्शन में आए नौजवानों को परेशान किया जा रहा है, बेवजह उनकी पिटाई और गिरफ्तारी की की जा रही है. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के बाद से किसानों के कई ट्रैक्टरों, वाहनों को जब्त किया गया है. साथ ही बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है. धरना स्थल पर बिजली, पानी की आपूर्ति और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. इन सबके विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया गया है कि 6 फरवरी को देशभर की मुख्य सड़कों पर दिन के 12 से 3 बजे तक कोई गाड़ी नहीं चलने दी जाएगी.
किसान संगठनों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. 11वीं बैठक में सरकार की तरफ से नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लिखित गारंटी और इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अडिग हैं.
आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना में इनके लोग नहीं थे, बल्कि बाहर से आए लोग थे जो घटना को अंजाम देने के बाद कहां चले गए, किसी को पता नहीं है. वे बाहरी लोग किसानों को बदनाम करने के लिए आए थे और पहले से इसकी साजिश रची गई थी.
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