Farooq Abdullah Interview: वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार (7 मई) को पूछा कि केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने में देरी क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार के बनने का वक्त है. एक साक्षात्कार में श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा कि जब बीजेपी के नेता सार्वजनिक रूप से घोषणा करते हैं कि वे चुनाव में 50 सीटें जीतेंगे तो उन्हें लोकतांत्रिक कवायद को अंजाम देने से कौन रोक रहा है.


नेशनल कॉन्फ्रेंस के 85 वर्षीय प्रमुख ने कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने उपमहाद्वीप में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत की जल्द बहाली की फिर से वकालत की. उन्होंने देश में मानवाधिकारों, धार्मिक असहिष्णुता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर भी बात की और कहा कि इन मोर्चों पर ठीक न होना इस महान राष्ट्र के लिए अच्छा नहीं है.


'अगर हालात ठीक हैं तो क्या वजह है जो उन्हें...'


विधानसभा चुनाव में देरी के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक ​​सरकार का सवाल है तो वह हमेशा कहती रही है कि यहां हालात ठीक हैं. उन्होंने कहा, ''अगर हालात ठीक हैं तो क्या वजह है जो उन्हें चुनाव कराने से रोक रही है. आखिरकार, हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं और इतने साल से हमारी चुनी हुई सरकार नहीं है. हमारे पास सलाहकारों के साथ उपराज्यपाल हैं और वह लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते, यह एक नौकरशाही सरकार बन गई है.''


अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘यह एक निर्वाचित सरकार का समय है.’’ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को विपक्षी दलों के सामने उठाया था और उन्होंने वह किया जो कर सकते थे. 


उन्होंने कहा, ''आखिरकार, यह निर्वाचन आयोग को करना है. हमने एक अपना पक्ष रखा और विपक्षी दलों ने भी चुनाव कराने के लिए दबाव डाला है... यह अब उन्हें तय करना है.''


अब्दुल्ला ने कहा, 'मैं यह नहीं समझ पा रहा कि अगर वे पंचायत चुनाव कराना चाहते हैं और जम्मू-कश्मीर में अन्य चुनाव कराना चाहते हैं तो विधानसभा के आम चुनाव क्यों नहीं.''


'उन्हें चुनावी परीक्षा कराने से क्या रोक रहा है'


उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में अनंतनाग में बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख रविंदर रैना की ओर से दिए गए इस बयान का हवाला दिया कि उनकी पार्टी के विधानसभा चुनाव में 50 से अधिक सीट जीतने और अपनी सरकार बनाने की संभावना है. परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीट हैं. 


क्या स्थिति चुनाव कराने के लिए अनुकूल है?


यह पूछे जाने पर कि क्या स्थिति चुनाव कराने के लिए अनुकूल है, अब्दुल्ला ने कहा, ''वे कहते हैं कि पर्यटन बहुत है, स्थिति बहुत अच्छी है. इसलिए वे जो कहते हैं, मैं उस पर कुछ और नहीं कहना चाहता. इसी वजह से मैं कहता हूं कि अगर स्थिति इतनी अच्छी है तो चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे. उन्हें क्या रोक रहा है?'' यह पूछने पर कि क्या वास्तव में स्थिति में सुधार हुआ है, अब्दुल्ला ने मुस्कराते हुए कहा, ''यह लाख टके का सवाल है और लाख टके के सवाल का उत्तर देना बहुत कठिन है.''


पाकिस्तानी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर यह बोले फारूक अबदुल्ला


शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की हाल की गोवा यात्रा का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ''यह बहुत अच्छा कदम है. वह इसलिए आए क्योंकि हम पड़ोसी हैं और हमारे बीच समस्याएं हैं और हमें मिलकर उन्हें सुलझाना होगा. मुझे उम्मीद है कि सरकार भी इसी तरह से जवाब देगी और इन दोनों देशों के बीच शांति के बेहतर तरीके खोजने की कोशिश करेगी.''


क्या आतंकियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तान की मंशा में कमी आई?


यह पूछे जाने पर कि आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तान की मंशा में कोई कमी नहीं आई है, उन्होंने कहा कि आतंकवाद इस त्रासदी का हिस्सा बना हुआ है और यह समाप्त नहीं हुआ है.


उन्होंने कहा, ‘‘सरकार चिल्लाती थी कि शायद यह (अनुच्छेद) 370 इस आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है. पिछले तीन वर्षों से (अनुच्छेद) 370 नहीं है, आतंकवाद अब भी है, बल्कि यह बढ़ रहा है. वे जो भी कहें, आखिरकार हमें अपने पड़ोसी से बात करनी होगी और पिछले 70 साल से चली आ रही इस जटिल समस्या का उचित समाधान ढूंढ़ना होगा.’’


अब्दुल्ला ने कहा, ''इसने समुदायों में कड़वाहट पैदा की है, इसने हर चीज में कड़वाहट पैदा की है और जब तक हम इसका समाधान नहीं ढूंढ़ते, यह त्रासदी जारी रहेगी.'' अनुच्छेद 370 को 19 अगस्त, 2019 को समाप्त कर दिया गया था और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था.


'जी-20 बैठकें जम्मू में क्यों नहीं?'


उन्होंने जी-20 बैठकों के मुद्दे पर कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि इसे जम्मू में क्यों नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ''मेरी बात सीधी है कि अगर वही (जी20 बैठकें) कश्मीर और लद्दाख में हो सकती हैं तो जम्मू में क्यों नहीं. …इन वर्षों में जम्मू के लोग खुद की अनदेखी के लिए कश्मीर के नेताओं पर आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन आज केंद्र में बीजेपी की सरकार है, इसलिए यह (जम्मू) बैठक स्थल क्यों नहीं है.”


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि उनके साथ अकसर लगाया जाने वाला राष्ट्र विरोधी तमगा उन्हें पीड़ा पहुंचाता है. वाजपेयी ने विपक्ष में रहने के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.


'वे हमें हमेशा पाकिस्तानी कहेंगे'


अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘सच कड़वा होता है और जब वे सच नहीं सुनना चाहते तो वे आप पर वे सारे ठप्पे लगाने की कोशिश करते हैं जो उन्हें लगता है कि टिके रहेंगे... वे हमें हमेशा पाकिस्तानी कहेंगे.’’


उन्होंने कहा, '...जब हम उन्हें सच बताते हैं तो हम या तो आतंकवादी होते हैं, या सांप्रदायिक होते हैं या हम पाकिस्तानी होते हैं. भगवान का शुक्र है कि उन्होंने हमें चीन से नहीं जोड़ा. यह उनके काम करने का तरीका है. वे सच को सुनना नहीं चाहते.’’


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