श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को अपने आवास पर पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद उन्होंने कहा कि हमारी मीटिंग का उद्देश्य यह देखना था कि क्या हमारे लोग जो 12 महीनों से बंद हैं, अपने घरों से बाहर आ सकते हैं, क्योंकि सरकार ने कहा कि वे बंद नहीं हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोग आज सबसे दयनीय स्थिति में हैं. व्यवसाय बिल्कुल भी नहीं है, पर्यटन जीरो है. हर जगह पीड़ा है.


जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही हाई कोर्ट में पार्टी के उस दावे को खारिज कर दिया था कि इसके कई नेता अब भी गैर-कानूनी तरीके से अपने घरों में ही नजरबंद हैं. इसके मद्दनेजर ही यह बैठक बुलाई गई थी.


पार्टी के महासचिव अली मोहम्मद सागर और पूर्व मंत्री मोहम्मद शफी उरी, अब्दुल रहीम राथर और नासिर सोगामी गुपकर रोड स्थित अब्दुल्ला के आवास पर बैठक के लिए पहुंचे. उत्तरी कश्मीर से लोकसभा सदस्य मोहम्मद अकबर लोन भी अब्दुल्ला के आवास में जाते देखे गए.


जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट को स्थानीय प्रशासन द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के 16 नेताओं में से कोई भी हिरासत में नहीं है, पार्टी ने बुधवार को वरिष्ठ नेताओं की आज की यह बैठक बुलाने का फैसला किया था.


पार्टी ने अदालत में दावा किया था कि उसके 16 नेताओं को गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाया गया है. नेशनल कांफ्रेंस ने बुधवार को जारी बयान में कहा था कि पार्टी के विभिन्न नेताओं को गैर कानूनी नजरबंदी से मुक्त कराने के लिए पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसने सरकार के रुख पर संज्ञान लिया है.


बयान में कहा, ‘‘ मामले में दाखिल जवाब के अध्ययन के दौरान पार्टी ने गौर किया कि सरकार ने हाई कोर्ट में कहा कि कोई नेता हिरासत में नहीं है और जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ कहीं भी आने-जाने को स्वतंत्र है.’’


पार्टी ने कहा, ‘‘ हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत सरकार के रुख पर भरोसा करते हुए कि पार्टी के सदस्य कहीं भी आने जाने के लिए मुक्त हैं,  नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने अली मोहम्मद सागर, अब्दुल रहीम राथर, मोहम्मद सफी उरी और नासिर असलम वाणी सहित पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को 20 अगस्त 2020 को शाम पांच बजे अपने आवास पर आमंत्रित किया है.’’ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि हिरासत में रखे गए पार्टी सदस्य वास्तव में आजाद हैं और निर्धारित दिन सफलापूर्वक बैठक होगी.


 गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और पार्टी के सदस्यों को रिहा कराने का अनुरोध किया था. इसके जवाब में पिछले महीने अतिरिक्त महाधिवक्ता बशीर अहमद डार ने कहा कि याचिका का मकसद न केवल आश्चर्यचकित करने वाला बल्कि स्तब्ध करने वाला भी है क्योंकि न तो कोई कानूनी कार्यवाही चल रही है न ही अपेक्षित है. इसी तरह का जवाब कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने भी अदालत में दाखिल किया था.


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