Jammu Kashmir: फारूक अब्दुल्ला बोले, 'फरमानों से नहीं उड़ सकता, तिरंगा तो दिल में उड़ना चाहिए'
अमरनाथ यात्रा के बारे में अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के लोगों ने तीर्थ यात्रा का संचालन पूरे दिल से सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा गुफा की खोज करने वाला व्यक्ति एक मुसलमान गडरिया था.
Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के श्रीनगर (Sri Nagar) में आज एक राजनीतिक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद सूबे के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Confrence) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि वादी में फरमानों से तिरंगा नहीं उड़ सकता है. अब्दुल्ला ने कहा कि यहां दिल में तिरंगा उडेगा तभी बात बनेगी.
इसके अलावा उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जम्मू-कश्मीर में संयुक्त रूप से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. ये चुनाव गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के तहत लड़े जाएंगे. पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस पीएजीडी के प्रमुख घटक दल हैं.
फारूक ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार जब चाहे चुनाव करा सकती है. जब बाढ़ आई थी तब चुनाव हुए थे. अब चुनाव क्यों नहीं हो सकते? सवाल यह है कि वे चुनाव कैसे लड़ना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस मुल्क को अगर तरक्की करनी है तो केवल मुहब्बत के साथ ही तरक्की की जा सकती है. यह देश विविधताओं से भरा देश है और यह सिर्फ लोकतंत्र के हिसाब से ही चलेगा.
#WATCH | A Muslim from Pahalgam had spotted lingam in that cave (Amarnath cave) and he informed Kashmiri Pandits...Never has a Muslim pointed a finger against any religion...Yes, there was a wave in the 90s but it had come from somewhere else...: NC chief Farooq Abdullah, in J&K pic.twitter.com/ik2CzeC2FB
— ANI (@ANI) July 4, 2022
अमरनाथ यात्रा पर क्या बोले फारूक अब्दुल्ला?
अमरनाथ यात्रा के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के लोगों ने वर्षों से तीर्थ यात्रा का सुचारू संचालन को पूरे दिल से सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा गुफा की खोज करने वाला व्यक्ति कौन था? वह पहलगाम का रहने वाला एक मुसलमान गडरिया था. उन्होंने कहा कि उस गडरिये ने नीचे आकर कश्मीरी पंडितो को बताया था कि हमारे साथ चलिए. मैने कुछ देखा है आप मेरे साथ चलिए.
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि कभी किसी मुसलमान ने किसी धर्म के खिलाफ उंगली नहीं उठाई... हां, 90 के दशक में एक हवा आई थी लेकिन यह हवा हमारी हवा नहीं थी. यह हवा कहीं और से आई थी. उस हवा का खामियाजा आज भी हम भर रहे हैं.
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