Jammu Kashmir News: नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) अपनी बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं. कई बार उनके दिए गए बयानों के चलते विवाद काफी विवाद भी हुआ है. फारूक अब्दुल्ला कश्मीर के मुद्दे (Kashmir Issue) को लेकर हमेशा से ही अपनी बेबाक टिप्पणी करते रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर से कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत किए जाने की पैरवी की है.
उन्होंने कहा कि घाटी में तब तक हालात सामान्य नहीं होंगे, जबतक कि कश्मीर में मिलिटेंसी (Militancy) का कारवां ख़त्म नहीं हो जाता, जब तक कश्मीर के लोगों को जीतने की कोशिश नहीं होगी और पड़ोसी से बात करके कोई हल नहीं ढूंढा जाएगा. हम कश्मीरी इसी तरह मरते रहेंगे. उन्होंने कहा कि लाल बाजार में मारे गए पुलिसवाले के बेटे को सेना ने मारा और अब मिलिटेंट्स ने बाप को मारा. यहां पता ही नहीं चलता कौन मार रहा है और कौन बचा रहा है? फारूक अब्दुल्ला ने पीड़ित परिवार को सरकार से आर्थिक मदद दिए जाने का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि परिवार को अच्छा मुआवजा दें ताकि परिवार चल सके. हम इस हमले की निंदा करते है.
श्रीलंका के हालात पर जताई चिंता
फारूक अब्दुल्ला ने पड़ोसी देश श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद मचे सियासी बवाल पर को लेकर वहां की हालात पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कुछ भी हो सकता है और अल्लाह हमको श्रीलंका जैसे हालात से बचाये. हम श्रीलंका (Sri Lanka) के लिए दुआ करते हैं कि वहां के लोगों के हालात जल्द ठीक हो जाए और हमारी सरकार ऐसे कदम उठाये जिससे हम श्रीलंका जैसे हालात की तरफ न जाएं.
जनसंख्या नियंत्रण करने पर दिया जोर
फारूक अब्दुल्ला ने देश में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या को कंट्रोल (Population Control) करने के लिए कोई ठोस नीति बनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि जनसंख्या कंट्रोल करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. ये किसी विशेष कम्युनिटी को टारगेट करे या किसी ग्रुप को लेकिन उनको यह समझना होगा कि हिंदुस्तान Unity In Diversity है और इसी से चलता है. उन्होंने ने कहा तमिलनाडु और कश्मीर में क्या समानता है? दोनों का कल्चर, खाना, मौसम और बोली एक-दूसरे से अलग है. लेकिन बावजूद इसके हिंदुस्तान हमें एकजुट रखता है. साथ ही मिलकर आगे बढ़ने की हिम्मत देता है. हमको उसी Diversity को मज़बूत करना है तभी देश आगे बड़ेगा. उन्होंने कहा अगर इस डाइवर्सिटी को तोड़ने की कोशिश हुई तो भारत ऐसी मुसीबत में पड़ेगा जिससे निकलना मुश्किल होगा.
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