नई दिल्ली: तीस सालों तक अंडरवर्ल्ड दाऊद इब्राहिम के वफादार रहे फारूक टकला को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद साल 2011 में यूपीए सरकार ने टकला का पासपोर्ट 24 घंटे के भीतर रिन्यू किया. जब फारूक टकला का पासपोर्ट रिन्यू किया गया उस वक्त एसएम कृष्णा विदेश मंत्री और पी चिदंबरम गृह मंत्री थे.
टकला ने दुबई में रहते हुए पासपोर्ट रिन्यू करने के लिए 7 फरवरी 2011 को आवेदन किया था और अगले ही दिन उसका पासपोर्ट रिन्यू कर दिया गया. साल 1993 के मुंबई ब्लास्ट केस में टकला के खिलाफ 1995 से इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.
आपको बता दें कि फारूक टकला को कल ही गिरफ्तार किया गया और करीब 25 साल बाद उसे भारत लाया जा सका है.
सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि जब हमारे देश का कोई मुजरिम गंभीर गुनाह करता है और देश छोड़ कर भाग जाता है. तब रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है. ऐसे मुजरिमों को पकड़ने में इंटरपोल भी मदद करता है. अगर एक दिन में टकला का पासपोर्ट रिन्यू होता है तो ये चिंता करने वाली बात है. पुलिस इन्क्वायरी होती है, और भी काम होते हैं जो एक दिन में नहीं हो सकते. मेरे अपने पासपोर्ट को रिन्यू कराने में मुझे 6 महीने लग गए.
सीबीआई हिरासत में है टकला
1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों के आरोपी फारूक टकला को मुंबई की टाडा अदालत ने 19 मार्च तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया है. अंतर्राष्ट्रीय डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी टकला को गुरुवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. अब फारूक से पूछताछ की जाएगी और दाऊद इब्राहिम के बारे में कई अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है.
मोहम्मद फारुक यासीन मंसूर उर्फ फारूक टकला (57) की गिरफ्तारी के बाद उसे दिल्ली स्थिति सीबीआई हेडक्वार्टर लाया गया. जिसके बाद उसे पेशी के लिए मुंबई लाया गया. सीबीआई की ओर से वकील दीपक साल्वी ने कोर्ट को बताया कि टकला की मुंबई बम धमाकों में अहम भूमिका थी और वो बम धमाके की साज़िश में दाऊद के साथ शामिल था.
रेड कॉर्नर नोटिस जारी था
इंटरपोल ने 1995 में टकला के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. जानकारी के मुताबिक, फारूक बम धमाके के वक्त मुंबई में नहीं था लोकिन धमाकों से पहले दुबई में धमाकों की साजिश रचने के लिए जो मीटिंग हुई थी उसमें वो भी शामिल था. सीबीआई के अनुसार इस मीटिंग के बाद पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजे गए बम कांड के गुनाहगारों के रहने, खाने से लेकर आने-जाने का सारा इंतजाम फारुक ने ही किया था.
दाऊद का दाहिना हाथ
फारूक को दाऊद का दाहिना हाथ माना जाता है. वो पिछले 25 सालों से दुबई और दूसरे देशों में दाऊद का काम संभाल रहा था और वहां बड़े बिजनेसमैन के तौर पर जाना जाता था. बम धमाकों के बाद से फारूक डी गैंग का काम देखता था. फारूक ने ही ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जा रहे आतंकियों को बिना इमिग्रेशन (पासपोर्ट पर ठप्पा) पाकिस्तान में दाखिल किया और वहां से दुबई भेजा. इसके लिए आईएसआई ने मदद की.