नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने गंभीर चिंता जताते हुए पुलवामा आतंकी हमले की निंदा की. इसके साथ ही एफएटीएफ ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जमात-उद-दावा (जेयूडी) जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में जारी में रखने का फैसला किया है.
पेरिस स्थित एफएटीएफ संस्था ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक खामियों को दूर करने की अपनी योजना पर अमल के लिए काम जारी रखना चाहिए.
करीब एक हफ्ते लंबे अपने अधिवेशन के बाद एफएटीएफ ने कहा कि वह पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले पर गौर करते हुए गंभीर चिंता जताता है और उसकी निंदा करता है. इस हमले में 40 जवान शहीद हुए थे. जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.
एफएटीएफ ने कहा, ''पाकिस्तान ने अपना टीएफ (आतंकी फंडिंग) रिस्क के बारे में फिर से जांच किया है. बहरहाल, वह दाएश (आईएसआईएस), अल-कायदा, जेयूडी (जमात-उद-दावा), एफआईएफ (फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन), एलईटी (लश्कर-ए-तैयबा), जेईएम (जैश-ए-मोहम्मद), एचक्यूएन (हक्कानी नेटवर्क) और तालिबान से जुड़े लोगों की ओर से पेश किए जा रहे टीएफ रिस्क की उचित समझ नहीं दिखा रहा.''
जनवरी 2019 में अमल के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर सीमित प्रगति को देखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान से अपील की कि वह अपनी कार्य योजना, खासकर मई 2019 की समय सीमा वाली, तेजी से पूरी करे.
एफएटीएफ के अधिवेशन में शिरकत करने वाले एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि निपटारा दस्तावेज में रखने का मतलब है कि देश को 'ग्रे' सूची में रखा जाएगा और जून 2019 में इसकी फिर से समीक्षा की जाएगी.
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जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में डाला गया था और एफएटीएफ द्वारा 27 सूत्री कार्य योजना दी गई थी. अक्टूबर 2018 में हुए पिछले अधिवेशन में इस योजना की समीक्षा की गई थी. इस हफ्ते हुई बैठक में दूसरी बार इसकी समीक्षा की गई.
एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में बनाए रखने का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी), यूरोपीय संघ (ईयू) जैसी वित्तीय संस्थाएं उसकी ग्रेडिंग कम कर देंगी और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं. एजेंसियों के इस कदम से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है.
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