कर्नल संतोष बाबू की शहादत पर पिता ने कहा- राष्ट्र सेवा की खातिर उसके बलिदान पर मुझे गर्व
लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद होनेवाले कर्नल के पिता को बेटे की शहादत पर गर्व है.उनका कहना है कि सैन्य जीवन के खतरे को जानते हुए भी उन्होंने अपने बेटे को सेना के लिए प्रेरित किया.
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रित रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प में अपने बेटे को खोनेवाले पिता को उसकी शहादत पर गर्व है. कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू के पिता का कहना है कि उन्हें पता था एक दिन उन्हें इस बारे में सूचना मिलेगी.
रिटायर्ड बैंकर उपेंद्र ने कहा, “मैं मानसिक तौर पर तैयार था. हर कोई मरता है लेकिन मेरे लिए ये सम्मान की बात है कि देश की खातिर उसने शहादत दी. मुझे अपने बेटे की वीरगति पर गर्व है.” उन्होंने अपने बेटे के साहसिक कारनामों के बारे में बताया कि संतोष कुपवाड़ा में आतंकवादियों ने मुकाबला किया था. और उसने साहसिक कार्य को अंजाम देकर सेना प्रमुख से सराहना पाई थी. अपने 15 वर्षीय सेवा में उसे चार प्रमोशन मिले.
शहीद कर्नल के पिता ने बताई बेटे की बात
कर्नल के पिता का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. और उन्हें पता था सेना में शामिल होने का मतलब खतरा है. उसने आंध्र प्रदेश के कोरुकुंडा सैनिक स्कूल से तालीम हासिल की. उसके बाद NDA से होते हुए उसका सफर IMA तक रहा. उसके बाद तो उसका पूरा जीवन ही वर्दी के प्रति समर्पित हो गया.
आखिरी कॉल के शब्द गूंज रहे हैं कानों में
उपेंद्र को अपने बेटे के आखिरी शब्द अभी भी याद हैं. कहते हैं, “14 जून को जब मैंने सीमा पर संघर्ष के बारे में पूछा तो उसने ज्यादा बताने से इनकार कर दिया. सिर्फ इतना कहा कि अगली बार वापसी पर बात करेंगे.” संतोष ने अपने पिता को बताया था कि जमीनी सच्चाई कुछ और है जबकि न्यूज चैनलों पर दिखाई जानेवाली खबरें कुछ और हैं. उपेंद्र कहते हैं कि हमें थोड़े ही पता था कि ये उसकी आखिरी कॉल साबित होगी.
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