क्या स्कूलों को फिर से खोलने के लिए बच्चों का टीकाकरण एक शर्त होनी चाहिए? जानें सरकार ने क्या कहा
देश के अलग-अलग राज्यों में स्कूल खोले जा रहे हैं. वहीं कोरोना के चलते अभिवावकों में डर बना हुआ है जिसके बाद आज सरकार ने साफ कर दिया कि कोरोना वैक्सीन लगने और स्कूल खुलने का कोई संबंध नहीं है.
नई दिल्ली: देश के अलग-अलग राज्यों में स्कूल खुल रहे है वहीं 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन भी जल्द आने वाली है तो ऐसे में क्या बच्चों के टीकाकरण के बाद ही बच्चों स्कूल भेजना चाहिए? या पहले भी भेजा जा सकता है?
इस पर सरकार ने साफ किया है कि बच्चों को . दुनिया के कई देशों में स्कूल खुले हैं और वहां बच्चों को वैक्सीन नहीं दी गई है ना ही WHO से इसको लेकर कोई निर्देश हैं.
अभिभावकों में बच्चों को लेकर डर
कोरोना के चलते बच्चों के स्कूल पिछले साल से बंद थे. कुछ राज्यों में चरणबद्घ तरीके से धीरे-धीरे स्कूल खुल रहे हैं लेकिन अभिभावकों में अभी डर है कि स्कूल खुलने से बच्चों को संक्रमण न हो जाये. कई अभिभावकों का मानना कि बच्चों को भी कोरोना की वैक्सीन लगे उसके बाद स्कूल खुले लेकिन सरकार ने आज साफ कर दिया है की स्कूल खुलने और बच्चों के वैक्सीन लगने का कोई संबंध नहीं है.
बच्चों को वैक्सीन देने के बाद स्कूल भेजना जरूरी नहीं. दुनिया के बाकी देशों में जहां बच्चों के स्कूल खुले हैं वहां भी ऐसा नहीं हो रहा है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि बच्चों में संक्रमण ज्यादा गंभीर नया पाया गया है. वहीं अब तक जो ग्लोबल साइंटिफिक एविडेंस हैं उसमें यही देखा गया है कि जिन बच्चों को हुआ भी उनमें लक्षण नहीं थे ना ही ये उतना गंभीर है.
टीचर और स्टाफ को वैक्सीन लगे ये जरूरी- डॉ वी के पॉल
डॉ वी के पॉल, सदस्य नीति आयोग का कहना है कि, “स्कूल खुलने के लिए बच्चों को वैक्सीन लगे ये क्राइटेरिया कहीं भी दुनिया में नहीं है. स्कूल तभी खुल रहे थे जब वैक्सीन का नामों निशान नहीं था. किसी साइंटिफिक बॉडी ने, कोई एपिडेमियोलॉजी या ऐसे किसी ने कोई एविडेंस दिए है ये कंडीशन होना चाहिए. हालांकि टीचर और स्टाफ को वैक्सीन लगे उस दिशा में हमारे देश में बहुत कोशिश की गई है कि टीचर और स्टाफ को वैक्सीन लगे.”
इसके अलावा दुनिया के कुछ ही देशों में बच्चों को वैक्सीन देने का फैसला किया है ज्यादातर देश मे बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं है. भारत में अभी किन बच्चों को, कब से और कैसे वैक्सीन देनी है इस पर नेशनल टेक्निकल एडवाइजर ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन फैसला नहीं हुआ है. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संघठन का भी इस पर कोई फैसला या दिशानिर्देश नहीं है.
डॉ. वी के पॉल ने कहा कि, “कुछ ही देशों ने बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत की है. इस बारें में WHO का कोई दिशानिर्देश नहीं है क्योंकि बच्चों में संक्रमण से मौत के मामले कम हैं. इस बारें में साइंटिफिक तरीके से सोच रहे है.”
स्कूल भेजते वक्त जरूरी सावधानी बरतें
फिलहाल देश में ज्याडस कैडिला की वैक्सीन ZycovD को इमरजेंसी यूज़ की अनुमति मिली है और ये वैक्सीन 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को दी जा सकती है लेकिन बच्चों को दी जाएगी और कब से इस पर फैसला नहीं हुआ है. वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का 2 से 17 साल तक के बच्चों पर ट्रायल पूरा हो चुका है नतीजे जल्द आने की उम्मीद है. इसके अलावा दो और वैक्सीन बायोलॉजिकल ई और नोवावैक्स की वैक्सीन को भी बच्चों पर ट्रायल की अनुमति मिल चुकी है.
यानि कि साफ है कि, कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजा जाए ये जरूरी नहीं है. बच्चों को स्कूल भेजते वक्त जरूरी सावधानी बरतें साथ हो कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी करें.
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