राजस्थान के आदिवासी जिलों में वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में डर, सरकार ने चलाई टीके के बदले राशन किट स्कीम
आदिवासी जिलों की जनता वैक्सीनेशन के मामले में काफी पीछे चल रही है. वहां रहने वाले ग्रामीणों को वैक्सीन के बाद होने वाली मौत का डर है. इसलिए सरकार ने अब वैक्सीन के बदले राशन किट देने की स्कीम निकाली है.
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कोरोना वायरस के खिलाफ देशभर में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, लेकिन राजस्थान जहां राज्य का औसत 78.3% है, वहां 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन भी ठीक से नहीं हो सका है. उदयपुर के आदिवासी जिलों 63.9%, डूंगरपुर 62.7% और प्रतापगढ़ 59.3% में सबसे कम वैक्सीनेशन हुआ है. जानकारी के मुताबिक उदयपुर के एक गांव में एक आदिवासी युवक ने बूथ स्तर के अधिकारी दिनेश चंद्र जोशी से वैक्सीनेशन की वजह से हुई मौतों पर सवाल किया, जिसका जवाब देते हुए दिनेश चंद्र ने कहा कि 'ये सिर्फ एक अफवाह है, लोग वैक्सीन की वजह से नहीं बल्कि कोविड 19 के चलते मर रहे हैं'.
दरअसल यहां के आदिवासी इलाकों में मरने के डर की वजह से कोई भी वैक्सीनेशन नहीं कराना चाहता है. वहीं केंद्र सरकार ने सोमवार से सभी वयस्कों को मुफ्त टीके प्रदान करने की घोषणा की है, लेकिन उदयपुर आदिवासी इलाकों में लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरुक करने के लिए राज्य सरकार कई स्कीम लेकर आई है. इसमें राशन किट वितरित करने, कोविड केंद्रों तक मुफ्त यात्रा की पेशकश करने जैसे उपाये शामिल हैं. उदयपुर के झाडोल प्रखंड में 34 फीसदी वैक्सीन कवरेज के साथ एसडीएम गुंजन सिंह ने करीब 2,000 मुफ्त राशन किट बांटी हैं.
राशन किट के बदले वैक्सीन लगवाने की अपील
आदिवासी लोगों को वैक्सीन की अहमियत समझाने के लिए राशन किट उपल्बध कराई जा रही है. इन किटों में तेल, पोहा, चावल, दाल और आटा शामिल हैं. वहीं एक सरकारी शिक्षक दुर्गा राम का कहना है कि इन आदिवासियों को आधुनिक चिकित्सा की महत्ता समझाने का काम कठिन है, लेकिन असंभव नहीं है, इसलिए सरकार को प्रयास करते रहने होंगे.
डर के साए में ग्रामीण
शिक्षक दुर्गा राम ने बताया कि ग्रामीणों में वैक्सीन के बाद हुई मौतों को लेकर डर घर कर चुका है. उनके मुताबिक जब वो गांवों का दौरा करते हैं, तो लोग वैक्सीन लगवाने के बाद ना मरने की गारंटी मांगते हैं. यहां तक कि कई बार गांव वाले अपने गांव में प्रवेश भी नहीं करने देते हैं.
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