मुंबई: लोगों की मानसिकता पर असर कर रहा कोरोना का डर, मनोचिकित्सक के पास मरीज़ों की तादाद बढ़ी
नताशा बताती हैं कि इस हफ्ते उनके पास करीब 10 ऐसे मरीज़ आएं, जिन्हें हल्की सी सर्दी या खासी थी, लेकिन कोरोना के लक्षण को पढ़ने के बाद उन्हें लगता है कि उन्हें यह बीमारी तो नहीं.
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कोरोना वायरस के मामले सामने आने से लोगो में डर के वातावरण का निर्माण हो रहा है. संक्रमण के डर के कारण लोगों में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसके इलाज के लिए वे मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं. भारत मे कोरोना संक्रमित मरीज़ों की बढ़ती संख्या देख लोगों में डर और भय का माहौल पैदा हो रहा है.
कुछ लोगों की मानसिकता पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे ही कुछ केस मुंबई से हैं, जहां मनोचिकित्सक नताशा काटे कई मरीज़ों का इलाज कर चुकी हैं. नताशा बताती हैं कि पिछले 2 हफ्ते से उनके पास कई ऐसे मरीज़ आ रहे हैं, जिनके ऊपर कोरोना का गहरा असर हुआ है. इसमें सीवियर और माइल्ड केसेस हैं.
नताशा बताती हैं कि इस हफ्ते उनके पास करीब 10 ऐसे मरीज़ आएं, जिन्हें हल्की सी सर्दी या खासी थी, लेकिन कोरोना के लक्षण को पढ़ने के बाद उन्हें लगता है कि उन्हें यह बीमारी तो नहीं. कोरोना का डर कई मरीज़ों पर बुरी तरह से हावी हो रहा है. इसी में एक सीवियर और माइल्ड केस है. एक मरीज़ जो सीवियर मेन्टल स्ट्रेस से झूझ रहे हैं, उन्होंने पिछले दो हफ्ते से खुदको बुरी तरह से बंद कर रखा है.
अपने आस पड़ोस और रिश्तेदारों से भी नही मिल रहे. डेटोल से कई बार हाथ धो रहे हैं. यहां तक अपने बच्चे को स्कूल नहीं जाने दे रहे हैं. वहीं, दूसरा केस भी इसी से मिलता जुलता है. दूसरे में यह लक्षण माइल्ड यानी कम है. मगर मानसिक तनाव ज़्यादा है. नताशा बताती हैं कि दूसरा मरीज़ कोरोना के बारे में दिन में दस बार पढ़ता है, उससे बचने के उपाए ढूंढता है.
सोशल मीडिया लोगों में काफी मानसिक तनाव पैदा कर रहा है. ऐसा नताशा का मानना है. लोगों में सही जानकारी का अभाव है, लेकिन डर भी काफी ज्यादा है. जिसे डर से नहीं, बल्कि सही और पूरी जानकारी से सुलझाने की ज़रूरत है.
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