FEMA & PMLA Cases In NDA 2nd Government: राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन - राजग (National Democratic Alliance - NDA) के दूसरे कार्यकाल के केवल तीन सालों में ही देश में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम ( Foreign Exchange Management Act-FEMA) और धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act-PMLA) के मामलों में तिगुनी वृद्धि दर्ज की गई है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि सरकार की तरफ से जारी किया गया डेटा कह रहा है. एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल की तुलना में ये मामलें काफी अधिक हैं. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED) ने साल 2019-20 से लेकर 2021-22 में ही फेमा और पीएमएलए के 14143 मामले दर्ज किए हैं. जबकि एनडीए ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2014-15 से लेकर 2016-17 में केवल 4913 मामले भी इनके तहत दर्ज किए थे. एनडीए के दूसरे कार्यकाल में फेमा और पीएमएलए के तहत दर्ज किए गए मामलों में 187 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.


एनडीए के दूसरों कार्यकाल में ईडी सुपर एक्टिव


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एनडीए के दूसरे कार्यकाल में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 यानि फेमा और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत मामले दर्ज करने में सुपर एक्टिव रही है. ईडी ने एनडीए के दूसरे कार्यकाल में तीन साल में ही फेमा और पीएमएलए के तहत तीन गुना मामले दर्ज किए हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने दूसरे कार्यकाल (Second Term) में काफी तेजी दिखाई और उसके पहले कार्यकाल (First Term)की तुलना में ईडी भी सुपरफास्ट मोड में नजर आई है. गौरतलब है कि बीजेपी के नेतृत्व की सरकार का पहला कार्यकाल 2014-15 से 2016-17 रहा, तो दूसरा कार्यकाल 2019-20 से 2021-22 है.


वित्त राज्य मंत्री ने किया खुलासा


वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ( Minister Of State For Finance Pankaj Chaudhary ) ने सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में एक लिखित उत्तर में ईडी से जुड़े आंकड़ों को साझा किया. साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, ईडी ने फेमा और पीएमएलए के तहत 2019-20 और 2021-22 के बीच 14,143 मामले दर्ज किए, जबकि 2014-15 और 2016-17 के बीच केवल 4913 मामले ही दर्ज किए. देखा जाए तो ईडी ने एनडीए के दूसरे कार्यकाल में मामले दर्ज करने में 187 फीसदी की बढ़ोतरी का रिकॉर्ड कायम किया. सरकारी आंकड़ों के ब्रेक-अप से पता चलता है कि एनडीए के दूसरे कार्यकाल में पहले तीन साल में ही ईडी ने फेमा के 11,420 मामलों को जांच के लिए लिया था. उधर दूसरी तरफ एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल के तीन साल के दौरान ईडी ने केवल 4424 मामलों को जांच के लिए लिया था. एनडीए के दूसरे कार्यकाल में तीन सालों के अंदर ही ईडी के मामलों की जांच में 158 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.पीएमएलए के तहत दर्ज मामलों में इस अवधि में पांच गुना से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2014-15 से 2016-17 से लेकर 489 मामले ईडी ने जांच के लिए तो 2019-20 से 2021-22 में 2723 मामले जांच के लिए थे. एनडीए के दूसरे कार्यकाल में इन मामलों में 456 से अधिक का उछाल आया. 


मोदी सरकार के 8 साल और मनी लॉन्ड्रिंग -विदेशी मुद्रा उल्लंघन केस


साल-दर-साल के आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार ( Modi Government) के पिछले आठ सालों में सबसे ज्यादा मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले 2021-22 में देखे गए. 2020-21 में, ईडी ने फेमा के तहत 5,313 मामले दर्ज किए. इन मामलों में साल 2017-18 की तुलना में 1686 मामलों की बढ़ोतरी हुई, जबकि 2017-18 में ईडी ने फेमा के कुल 3627 मामले दर्ज किए थे. पीएमएलए के तहत इस दौरान 1180 मामले दर्ज हुए थे और साल 2020-21 में इनमें 981 से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. 


जदयू को सरकार का जवाब


जद-यू  (JD-U) के राजीव रंजन उर्फ ​​ललन सिंह (Rajiv Ranjan alias Lalan Singh) के पूछे गए एक सवाल के जवाब में दायर जवाब में कहा गया है, “पिछले 10 वर्षों के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय( Directorate of Enforcement) ने फेमा के प्रावधानों के तहत जांच के लिए लगभग 24,893 मामले उठाए हैं और पीएमएलए के तहत लगभग 3,985 मामले दर्ज किए गए हैं. इन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बीते आठ साल के दौरान  22,130 फेमा मामले दर्ज हुए जो कुल मामलों का 89 फीसदी हैं. इसी तरह बीते आठ साल में पीएमएलए के 3555 मामले दर्ज हुए जो कुल मामलों का 89 फीसदी हैं. बीते आठ साल में पीएमएलए के 3985 मामले थे. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के मुताबिक 31 मार्च 2022 तक  ईडी ने कानून बनने के बाद से पीएमएलए के तहत कुल 5,422 मामले दर्ज किए थे, जिनमें से 65.66 फीसदी बीते आठ वर्षों में दर्ज किए गए थे.


धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 23 दोषी करार


प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के तहत 31 मार्च 2022 तक  लगभग 5,422 मामले दर्ज किए. यहां यह बताना जरूरी है कि पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करने के बाद पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाती है. जिसके परिणामस्वरूप अभियोजन की शिकायत दर्ज करते हुए 1,04,702 करोड़ रुपये (लगभग) की अपराध की आय की कुर्की की जाती है. अब तक के 992 मामलों में 869.31 करोड़ रुपये की जब्ती हुई और पीएमएलए के तहत 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया. इसी तरह, 31 मार्च, 2022 तक फेमा के तहत कुल 30,716 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 72 फीसदी बीते आठ साल में दर्ज किए गए. फेमा के तहत जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने 31 मार्च 2022 तक  लगभग 30,716 मामले उठाए हैं. गौरतलब है कि फेमा के तहत जांच के लिए एक मामला लेने के बाद ईडी उस पर फेमा के प्रावधानों के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई करता है.“ इस कार्रवाई के तहत  ईडी ने 8,109 कारण बताओ नोटिस-एससीएन (Show Cause Notices -SCNs) जारी किए गए. इनमें से फेमा के तहत 6,472 एससीएन का फैसला किया गया. इनमें लगभग 8,130 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके अलावा, फेमा के तहत लगभग 7,080 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है.


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