नई दिल्लीः देश के वृद्धाश्रमों (ओल्ड एज होम) में कोरोना वायरस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या बहुत कम है. तीन पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में 44 केयर होम्स रहने वाले 3,000 से अधिक लोगों के डेटा की एक स्टडी में यह बात सामने आई है.


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर के निदेशक और इस स्टडी में शामिल रहे डॉ. दिलीप मावलंकर ने कहा, “भारत में भीड़भाड़ वाली शहरी झुग्गियों और वृद्धाश्रमों में मौतों का आंकड़ा कम रहा है, इसलिए हमने तीन राज्यों के 44 वृद्धाश्रमों के आंकड़ों को इंवेस्टिगेट किया. हमें वहां पर कोविड -19 से मौत या अन्य कारणों मृत्यु दर में कोई वृद्धि देखने को नहीं मिली, जबकि भारत में कोविड -19 से होने वाली मौतों में से आधे से अधिक मौतें बुजुर्ग लोगों की हुई हैं. ”


संक्रमण से बचाने के लिए किये व्यापक उपाय
डॉ. मावलंकर के अनुसार, "स्टडी यह इंडिकेट करती है कि केयर होम्स में बुजुर्ग व्यक्तियों को कोरोनोवायरस संक्रमण से कुछ हद तक बचाया गया है और बड़े पैमाने पर सुरक्षात्मक उपाय किए गए. इसमें केयर होम्स को सैनेटाइज करना और यहां रहने वालों के जहां तक संभव हो घर भेजना, सभी विजटर्स को रोकना, जरूरत होने पर अटेंडेस को टेम्परेरी अकोमोंडेशन देना. ताजा फल और सब्जियों सहित बाहर से सभी वस्तुओं को सैनेटाइज करने जैसी चीजें शामिल हैं. ”


स्टडी में में पाया गया कि लॉकडाउन से पहले ही यहां रहने वाले औसतन 26 फीसदी लोगों को अपने घरों या रिश्तेदारों को वापस भेज दिया गया था. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग और व्यक्तिगत सुरक्षा के सरकारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा सके.

भोजन में किया गया परिवर्तन
सभी केयर होम्स में जिनमें से 15 फीसदी से कम अंडर फंडेड भी शामलि हैं, उनमें भोजन में विटामिन सी और डी और मल्टीविटामिन जोड़ने के लिए आहार परिवर्तन किए गए थे. साथ ही यहां रहने वालों को अपने परिवारों को कॉल और वीडियो कॉल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. चिंता को कम करने के लिए दैनिक दिनचर्या में एंटरटेनमेंट को भी जोड़ा गया.


आपातकालीन उपाय भी किए गए थे
इनमें से लगभग 18 फीसदी केयर होम्स लॉकडाउन के दौरान और बाद में स्टाफ की कमी और अनुपस्थिति का सामना किया. लेकिन सभी 44 देखभाल घरों में थर्मामीटर थे, 95 फीसदी में रक्तचाप मापने वाले उपकरण, 80 फीसदी में आइसोलेशन की सुविधा,70 फीसदी ऑक्सीमीटर और 5 फीसदी में ऑक्सीजन सिलेंडर थे.


डॉक्टरों ने नियमित रूप से केयर होम्स का दौरा किया. हालांकि, केवल तीन में चिकित्सा आपात स्थिति और बीमार लोगों को अस्पतालों में ले जाने के लिए एक रेफरल प्रणाली के लिए रेजिडेंट डॉक्टर थे.


गौरतलब है कि अच्छे फंड के सोशल वेलफेयर सिस्टम वाले स्वीडन, इटली, फ्रांस, स्पेन, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे कई विकसित देशों ने केयरहोम्स में काफी मौते हुई हैं.


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