Supreme Court to Hear FIFA Case: इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन फुटबॉल (FIFA) द्वारा ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) को तुरंत प्रभाव से निलंबित किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. शीर्ष अदालत में कल मामले की सुनवाई होगी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट से मामले में सुनवाई के लिए आग्रह किया था. मेहता ने कोर्ट को सभी अपडेट बताए, जिस पर अदालत सुनवाई के लिए राजी हो गई. 


फीफा ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन पर नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. फीफा ने कहा कि उसने एआईएफएफ को लेकर थर्ड पार्टी के दखल की वजह से यह फैसला लिया है. फीफा ने यह फैसला तब लिया है जब 16 अगस्त से कोलकाता में डूरंड कप की शुरुआत होने वाली है और अक्टूबर में भारत में फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप होना है. एआईएफएफ को सस्पेंड करते हुए फीफा ने भारत से इस विश्वकप टूर्नामेंट की मेजबानी छीन ली है. 



बता दें कि फीफा एसोसिएशन फुटबॉल, बीच फुटबॉल और फुटसल खेल की एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है. फीफा ने थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप को लेकर इस महीने की शुरुआत में ही एआईएफएफ को निलंबन की चेतावनी दी थी. फीफा के मुताबिक, फिलहाल सभी की सहमति के बाद निलंबन का फैसला लिया गया है. 


फीफा की तरफ से बयान में कहा गया, ''फीफा परिषद के ब्यूरो ने सर्वसम्मति से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया है, जो फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है.''


एआईएफएफ से ऐसे हटोगा निलंबन


एआईएफएफ से निलंबन हटाने को लेकर भी फीफा ने बयान दिया है. फीफा ने कहा, ‘‘निलंबन तभी हटेगा जब एआईएफएफ कार्यकारी समिति की जगह प्रशासकों की समिति के गठन का फैसला वापिस लिया जायेगा और एआईएफएफ प्रशासन को महासंघ के रोजमर्रा के काम का पूरा नियंत्रण दिया जायेगा.’’


फीफा ने कहा , ‘‘इसके मायने हैं कि भारत में 11 से 30 अक्टूबर के बीच होने वाला अंडर-17 महिला विश्व कप पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत में नहीं हो सकता. फीफा टूर्नामेंट के संबंध में अगले चरणों का आकलन कर रहा है और अगर आवश्यक हुआ तो मामले को परिषद के ब्यूरो के पास भेजेगा.’’


क्या है पूरा मामला?


उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था. इसके बाद से ही प्रतिबंध लगने की संभावना जताई जा रही थी. सीओए के अन्य सदस्यों में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और पूर्व भारतीय कप्तान भास्कर गांगुली शामिल हैं. सीओए को राष्ट्रीय खेल संहिता और दिशा निर्देशों के अनुसार एआईएफएफ के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी. फीफा ने हालांकि कहा कि उसने भारत के लिए सभी विकल्प बंद नहीं किए हैं और वह खेल मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है और उसे महिला जूनियर विश्व कप को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है. उसने कहा, ‘‘फीफा भारत के खेल मंत्रालय से लगातार संपर्क में है और सकारात्मक नतीजे तक पहुंचने की उम्मीद है.’’ फीफा ने पांच अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित करने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की धमकी दी थी. 


इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने तीन अगस्त को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. फीफा ने कभी अपनी सदस्य इकाइयों के मामलों में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी है. इनमें अदालत और सरकारी हस्तक्षेप भी शामिल है. उसने अन्य देशों में भारत जैसी स्थिति पैदा होने पर समितियों का गठन किया. भारत पर प्रतिबंध के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 28 अगस्त को होने वाले एआईएफएफ चुनाव का क्या होगा इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. शीर्ष अदालत ने सीओए द्वारा तैयार समय सीमा को मंजूर करने के बाद 13 अगस्त से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई थी.


सीओए पहले ही चुनाव अधिकारी की नियुक्त कर चुका है और उसने चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची भी जारी कर दी है. इनमें 36 मशहूर खिलाड़ी भी शामिल हैं. नामांकन भरने की प्रक्रिया बुधवार से शुक्रवार तक चलनी है. भारतीय फुटबॉल समुदाय उम्मीद कर रहा है कि जब बुधवार को उच्चतम न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होगी तो इसके बाद फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप की मेजबानी को लेकर कोई न कोई हल निकल आएगा. खेल मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर करके अपने पांच अगस्त के आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिसमें 36 मशहूर खिलाड़ियों को एआईएफएफ चुनावों में इस आधार पर मतदान करने की अनुमति दी गई थी कि विश्व संस्था (फीफा) एआईएफएफ में 'व्यक्तिगत सदस्यता' के पक्ष में नहीं था. सूत्रों के अनुसार, फीफा ने सोमवार को खेल मंत्रालय के सामने अपना रुख दोहराया और उसके बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने का बयान जारी किया.


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