दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार 2.0 का पिछले एक साल के दौरान कैसा कामकाज रहा? किस तरह से उसने कोरोना वायरस के दौरान लॉकडाउन में काम किया और कैसे अनलॉक को लेकर प्रबंधन और कोविड-19 टेस्टिंग किया? इसके साथ ही, दिल्ली सरकार की पिछले एक साल के दौरान बिजली, पानी के मोर्चे पर कैसी परफॉर्मेंस रही? इसको लेकर लोकल सर्कल्स की तरफ से दिल्ली के लोगों के बीच किए गए एक सर्वे में केजरीवाल सरकार के कामकाज का आंकलन किया गया है. आइये जानते हैं किस मोर्च पर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने एक साल के दौरान क्या काम किया और उससे दिल्ली के लोग कितने खुश हैं.


कोरोना के दौरान आप' सरकार के काम को 52% ने सराहा


कोरोना वायरस के चलते देश में 24 मार्च के लॉकडाउन का ऐलान किया गया था और 25 मार्च से इसे देशभर में लागू कर दिया गया था. इसके बाद जैसे लोगों की जिंदगी ठहर सी गई थी. लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे. कोरोना लॉकडाउन इसलिए लगाया गया था ताकि कोरोना की चेन को तोड़ा जा सके और इसके प्रसार को देशभर में कम किया जा सके. दिल्ली के 52 फीसदी लोगों ने यह माना कि लॉकडाउन, अनलॉक प्रबंधन, कोविड-19 जांच और रिपोर्टिंग, कोविड-19 अस्पताल के बेड्स की हैंडलिंग को लेकर महामारी के समय आम आदमी पार्टी की सरकार बेहतर काम किया.


47% ने माना बिजली क्षेत्र में हुआ सुधार


दिल्ली में हवा और पानी की गुणवत्ता को विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दल बीजेपी की तरफ से एक बड़ा मुद्दा बनाया गया था. केजरीवाल सरकार पर इसको लेकर काफी हमले किए गए थे. लेकिन, राष्ट्रीय राजधानी के 47 फीसदी लोगों ने यह माना है कि पिछले एक साल के दौरान बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में दिल्ली के अंदर सुधार हुआ है. जबकि, 37 फीसदी लोगों ने यह माना है कि पहले के मुकाबले पानी की सप्लाई अब बेहतर हुई है. तो 35 फीसदी लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि दिल्ली सरकार ने हवा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए प्रयास किया है.


58% ने माना कोरोना के दौरान बेहतर स्कूल मैनेजमेंट


कोरोना लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. उस दौरान ऑनलाइन क्लास चली ताकि बच्चों की पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रहे. 58 फीसदी लोगों ने यह माना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने स्कूल और शिक्षा को लेकर बेहतर प्रबंधन किया.


43% को देनी पड़ी घूस


हालांकि, आम आदमी पार्टी सरकार 2.0 के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले ऑफिसों में काम कराने के लिए घूस भी देनी पड़ी है. लोकल सर्कल्स के मुताबिक, 43 फीसदी राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को दिल्ली सरकार के तहत आने वाले कार्यालयों में अपना काम निकलवाने के लिए पिछले एक साल के दौरान घूस देनी पड़ी.