नई दिल्ली: देश इस वक्त कोरोना वायरस जैसे बड़े संकट से जूझ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संकट से निपटने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन का भी एलान कर दिया है. इस लॉकडाउन का मकसद यही है कि लोग अपने घरों में रहे जिससे कि कोरोना वायरस जैसी महामारी को फैलने से रोका जा सके. इन सब के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज के अलग-अलग तबकों से भी अपील की है कि वह राष्ट्रीय आपदा के इन हालातों में सरकार की मदद करें प्रधानमंत्री राहत कोष में सहयोग देकर.


इसके बाद समाज के अलग-अलग तबके प्रधानमंत्री राहत कोष में राशि भेज कर राष्ट्रीय आपदा के इन हालातों में अपना योगदान दे रहे हैं. इसी कड़ी में अब सरकारी तेल और गैस कंपनियों ने एलान किया है कि वह प्रधानमंत्री राहत कोष में 1000 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा करवाएंगे.


सरकारी तेल कंपनियां और कर्मचारी मिलकर करेंगे करीब 1100 सौ करोड़ का योगदान


पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकारी तेल कंपनियों ने यह घोषणा की है कि वह सब मिलकर प्रधानमंत्री राहत कोष में 1031 करोड़ से ज्यादा पैसा जमा करवाएंगे. इसके साथ ही इन कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए 61 करोड़ों रुपए को भी प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाया जाएगा. इस लिहाज से तेल कंपनियों और उसके कर्मचारियों के द्वारा किया जाने वाला योगदान करीबन 1100 सौ करोड़ रुपए का रहेगा.


समाज के अलग-अलग तबकों द्वारा लगातार प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया जा रहा है योगदान


इन कंपनियों के अलावा भी देश के कई नामी-गिरामी उद्योगपति और चर्चित चेहरे लगातार प्रधानमंत्री राहत कोष में पैसा जमा करवा रहे हैं. सिर्फ नामी और चर्चित लोग ही नहीं, इसके अलावा भी देश की आम जनता से जुड़े लोग भी अपने सामर्थ्य के हिसाब से राष्ट्रीय आपदा की इस कड़ी में प्रधानमंत्री राहत कोष में पैसा जमा करवा रहे हैं.


मकसद साफ है कि इसके जरिए करो ना महामारी से लड़ने में सरकार की मदद की जा सके जो पीड़ित हैं उनकी मदद की जा सके इसके साथ ही समाज के उस तबके को मदद मिल सके जो कोरोना वायरस से बचाव को ध्यान में रखते हुए किए गए लॉकडाउन से प्रभावित हुआ है. ये वे लोग हैं जिनका रोजगार पूरी तरह ठप हो गया है और अब खाने पीने को भी मोहताज हो गए हैं.