कश्मीर में आतंक के रास्ते पर भटके युवाओं को वापस लाने की मुहिम, अब तक 100 से ज्यादा ने छोड़े हथियार
पिछले दो सालो में अभी तक 100 से ज़ायदा लड़कों को बचाया गया है. ज्यादातर मामलों में घर वालो को अपने बच्चो के बारे में पता ही नहीं होता कि वह मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट पर पढ़ाई कर रहे हैं या फिर आतंकी बनने की तैयारी.
श्रीनगर: जम्मू -कश्मीर में जहां एक तरफ आतंक के खिलाफ सुरक्षा बलों के ऑपरेशन लगातार जारी हैं वहीं दूसरी तरफ पुलिस रास्ता भटके युवाओं को आतंक के रस्ते से वापस लाने के भी प्रयास जारी रखे हुए है. जिससे कश्मीर में आतंक की कमर को पूरी तरह तोड़ने में सफलता मिलेगी. जम्मू-कश्मीर में सक्रिय सभी सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे भटके युवाओं को वापस आने में मदद की पॉलिसी पहले से ही चला रखी है. इस पॉलिसी के तहत 75 से ज्यादा युवाओं को आतंकी बनने से रोका जा चुका है.
ऐसे ही एक ऑपरेशन के तहत गांदेरबल पुलिस ने जो भटके हुए युवाओं को वापस लाने में सफलता पायी है. गांदेरबल के एसएसपी खलील पोसवाल के मुताबिक 15-17 साल की उम्र के यह दोनों युवक ज़िले के बाटवीना और कुरहमा के रहने वाले थे. सोशल मीडिया के ज़रिये आतंकियों के संपर्क में आये थे. लेकिन पुलिस की कड़ी निगरानी के चलते इन्हें आतंकी बनने से पहले ही वापस लाया गया.
पुलिस के अनुसार इन दोनों लड़कों को सरहद पार बैठे आतंक के आकाओं ने ब्रेनवॉश करके आतंकी बनने के लिए तैयार कर लिया था. यह लड़के एक सक्रिय आतंकी से मिलने के लिए दक्षिण कश्मीर जाने के लिए घर से निकले थे. सुरक्षा कारणों के चलते इन लड़कों की पहचान ज़ाहिर नहीं की गयी है. पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया के ज़रिए आतंकी बनने के रस्ते पर युवाओं को ले जाने के कई मामले सामने आए हैं.
IGP Kashmir once again makes a fervent #appeal to all #misguided youth who have joined #terrorism, to #return their homes. We will accept you with open arms. Society needs you and most #importantly your #parents. So return and start your new life. @JmuKmrPolice
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) January 30, 2021
पांच मार्च को उत्तरी कश्मीर के सोपोर से 18 साल के एक युवक के लापता होने की खबर आयी थी. 18 साल के आदिल रहमान का परिवार सोपोर के आरमपुरा गांव में किराये के मकान में रहता है. पिता मज़दूर है और परिवार में दो बड़ी बहनें भी हैं. लेकिन अचानक पांच मार्च को जुमे की नमाज़ पढ़ने के बहाने से आदिल घर से निकला और वापस नही लौटा. इसके बाद से ही आदिल के परिवार का रोते रोते बुरा हाल है और वह आदिल से वापस आने की गुहार लगा रहा है. परिवार आतंकी संगठनों से उन के इकलौते बेटे को वापस भेजने की अपील भी कर रहा है.
पुलिस के अनुसार अभी तक आदिल के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है. अभी तक यह नहीं पता चला है कि क्या वह किसी और कारण से घर से भागा है या किसी आतंकी संगठन के बहकावे में आकर वह चला गया. लेकिन इस बात से भी पुलिस इंकार नहीं कर रही है कि सोपोर और आस पास के इलाकों में लश्कर ने पैर पसारने शरू कर दिए हैं. इसके चलते कई मासूम युवा उनके बहकावे में आ गए हैं.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 15 मार्च को शोपियां के रावलपुरा गांव में जैश के आतंकी रिक्रूइटेर विलायत हुसैन उर्फ सज्जाद अफगानी को मार गिराया था. विलायत ने पिछले तीन सालो में दक्षिण कश्मीर में बीस से ज्यादा युवाओं को आतंकी बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. उस के मारे जाने से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 20 OGW के नेटवर्क को भी ध्वस्त किया था.
पुलिस सूत्रों के अनुसार बहुत सारे मामलो में पुलिस बिना किसी मीडिया पब्लिसिटी के चुपचाप तरीके से ऐसे लड़कों को वापस लाती है. पिछले दो सालो में अभी तक 100 से ज़ायदा लड़कों को बचाया गया है. ज्यादातर मामलों में घर वालो को अपने बच्चो के बारे में पता ही नहीं होता कि वह मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट पर पढ़ाई कर रहे हैं या फिर आतंकी बनने की तैयारी.
इसी लिए पुलिस ने एक बार फिर से आतंक के रस्ते चल पड़े युवाओं से वापस लौटने की अपील की है. इसके साथ ही पुलिस ने उनके पुनर्वास और सामान्य जीवन देने का भी भरोसा दिया है. 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि सरकार जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के लिए कोई नयी सरेंडर पॉलिसी बना कर उनका समपर्ण करवाने की तरफ कदम बढ़ागी. लेकिन पॉलिसी ने अभाव में कोई बेगुनाह आतंकी ना बने इस लिए अब जम्मू कश्मीर पुलिस ने यह नयी मुहीम चलायी है.
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