वादे के मुताबिक नहीं दिया फ्लैट, आम्रपाली ग्रुप के निवेशकों पर हुआ धोखाधड़ी का केस
अम्रपाली ग्रुप को लेकर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अथॉरिटी को ज़मीन का भुगतान नहीं होने से निवेशकों को नुकसान नहीं होना चाहिए. ईडी पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जीवाड़े की जांच करे और कोर्ट को हर तिमाही रिपोर्ट दे.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बुधवार को आम्रपाली समूह के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अनुराग सहाय नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है. सहाय ने आम्रपाली समूह का एक फ्लैट बुक कराया था लेकिन वादे के मुताबिक उसे समय पर फ्लैट नहीं सौंपा गया.
अपनी शिकायत में सहाय ने कहा है कि आम्रपाली समूह के प्रवर्तकों ने 2013 में नोएडा के सेक्टर 76 के सिलिकॉन सिटी में ‘‘क्रिस्टल होम’’ परियोजना आरंभ की थी. समूह ने 48 महीनों के अंदर फ्लैट सौंपने का वादा किया था.
पुलिस ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की संबद्ध धाराओं के तहत एक प्राथिमकी दर्ज की गई है और जांच की जा रही है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आम्रपाली ग्रुप का रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट एक्ट), 2016 (RERA) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्रुप के आगे का प्रोजेक्ट NBCC पूरा करे.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि निवेशक का बकाया रकम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (NBCC) को दें. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निवेशकों को बड़ी राहत मिली है.
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