Adipurush: CM बघेल बोले- 'बजरंगबली से बुलवाई बजरंग दल की भाषा', 'आदिपुरुष' पर सियासत गर्म, जानें राजनीतिक दलों ने क्या कहा
Adipurush Controversy: फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और AAP समेत कुछ राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आई हैं. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने फिल्म का जिक्र कर बजरंग दल को निशाना बनाया है.
Political Reactions Over Film Adipurush: बीजेपी की दिल्ली इकाई ने ‘विवादित’ दृश्यों और संवादों की फिर से समीक्षा किए जाने तक फिल्म ‘आदिपुरुष’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है. आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) सहित अन्य दलों ने भी फिल्मकार ओम राउत की फिल्म में भगवान हनुमान की प्रस्तुति से लोगों की भावनाएं कथित तौर पर आहत करने को लेकर आलोचना की.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां तक कहा कि फिल्म में बजरंगबली के मुंह से वे शब्द बोलवाए जा रहे हैं जो बजरंग दल के लोग प्रयोग करते हैं. महाकाव्य रामायण को बड़े पर्दे पर चित्रित करती ‘आदिपुरुष’ शुक्रवार (16 जून) को सिनेमाघरों में प्रदर्शित की गई.
फिल्म को वीएफएक्स प्रभाव और संवाद को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और ‘लंका दहन’ सहित अन्य दृश्यों में भगवान हनुमान के संवाद को लेकर इसके लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं.
बीजेपी नेता ने सूचना और प्रसारण मंत्री से किया रिव्यू का अनुरोध
विवाद के बीच बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से अनुरोध किया है कि फिल्म के विवादित दृश्यों और संवादों की दोबारा समीक्षा की जानी चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘माननीय अनुराग ठाकुर जी फिल्म ‘आदिपुरुष’ का हर ओर विरोध हो रहा है. अतः निवेदन है कि इसके विवादित दृश्य और डायलॉग की पुनः समीक्षा की जाए. फिल्म प्रमाणन बोर्ड इस फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट अस्थाई रूप से निलंबित करे. इसके प्रदर्शन पर पुनः समीक्षा तक रोक लगे.’’
आम आदमी पार्टी की फिल्म 'आदिपुरुष' पर प्रतिक्रिया
इससे पहले दिन में ‘आप’ ने भी फिल्म की आलोचना की और कहा कि बीजेपी ऐसे फिल्म का समर्थन कर रही है जिसमें भगवान राम, देवी सीता और भगवान हनुमान का अपमान किया गया है.
राज्यसभा सदस्य और आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह आरोप लगाए. उन्होंने फिल्म के कुछ संवाद पढ़े और उन्हें भगवान राम, देवी सीता और भगवान हनुमान के साथ-साथ हिंदू धर्म का 'गंभीर अपमान' करार दिया.
संजय सिंह ने दावा किया कि यह फिल्म उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, असम के हिमंत विश्व शर्मा और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 'आशीर्वाद के साथ' बनाई गई है.
आप नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी देश और पूरे हिंदू समाज से ऐसी फिल्म के निर्माण की इजाजत देने और उसके प्रदर्शन के लिए माफी मांगनी चाहिए, जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.’’
CM भूपेश बघेल और क्या कुछ बोले?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को फिल्म 'आदिपुरुष' की आलोचना करते हुए इसे भगवान राम और हनुमान की छवि को खराब करने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि अगर लोग मांग करेंगे तो राज्य की कांग्रेस सरकार इस पर (फिल्म पर) रोक लगाने पर विचार कर सकती है.
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''आजकल हमारे जितने भी आराध्य देव हैं उनकी छवि बिगाड़ने का काम हो रहा है. हमने भगवान राम और हनुमान के कोमल चेहरे को भक्ति में सराबोर देखा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस छवि को बदलने का प्रयास किया जा रहा है ...लेकिन इस फिल्म में भगवान राम को 'युद्धक' (योद्धा) राम और हनुमान को ‘एंग्री बर्ड’ के रूप में दिखाया गया है.’’
भूपेश बघेल का बीजेपी पर निशाना
सीएम बघेल ने कहा, ‘‘न तो हमारे पूर्वजों ने भगवान हनुमान की ऐसी छवि की कल्पना की है और न ही हमारा समाज इसे स्वीकार करता है.’’ संभवत: बीजेपी पर उसका नाम लिए बिना निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''यह पूछना चाहता हूं कि जो राजनीतिक दल धर्म के ठेकेदार बनते हैं वे इस मामले में मौन क्यों हैं. कश्मीर फाइल्स और केरल स्टोरी पर बयान देते रहे बीजेपी नेता 'आदिपुरुष' पर खामोश क्यों हैं. ''
उन्होंने कहा, ''फिल्म में संवाद और भाषा अमर्यादित है. तुलसीदास जी की रामायण में भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में चित्रित किया गया है और सभ्य भाषा का प्रयोग किया गया है. आदिपुरुष में किरदारों के बहुत ही निम्न स्तर के संवाद हैं.''
सीएम बघेल ने कहा, ''आपको याद होगा कि जब राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने रामानंद सागर जी को बोलकर रामायण सीरियल बनवाया था, जो काफी लोकप्रिय हुआ था. उस समय बाजार बंद हो जाया करते थे. उनके एक-एक शब्द देखिए. आदिपुरुष के बहाने भगवान राम और हनुमान की तस्वीरों को विकृत करने का काम किया गया और पात्रों के मुंह में अभद्र शब्द डाले गए. यदि आज की पीढ़ी देखेगी उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा.''
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ये बोलीं
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने फिल्म की भाषा को ‘टपोरी’ वाली करार दिया और कहा कि यह लोगों की भावनाओं को आहत करती है. उन्होंने कहा, ‘‘ भगवान श्री हनुमान भद्रता और गंभीरता के प्रतीक हैं. वर्ष 1987 में जब रामानंद सागर ने रामायण धारावाहिक का निर्माण किया था तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि ‘रामायण’ करोड़ों दर्शकों के दिलों और दिमाग को प्रज्जवलित करती है. यह भारत की महान संस्कृति, परंपरा और नैतिकता को प्रसारित करती है.’’
श्रीनेत ने कहा, ‘‘रामायण के लेखक रामानंद सागर थे जिन्होंने टपोरी भाषा से करोड़ों लोगों की भावनाओं को आहत नहीं किया, बल्कि समाज के दिल एवं दिमाग में सियाराम की मधुर, सौम्य और ओजस्वी छवि स्थापित की.’’
उन्होंने कहा कि ‘‘ धर्म और धर्म के कारोबार में यही अंतर है. अपनी चाटुकारिता के बल पर सस्ती लोकप्रियता तो मिल जाएगी, बड़े शो भी मिल जाते हैं, लेकिन हुनर ना होना आड़े जरूर आता है. जो हनुमान को ‘तेरे बाप की जली’ कहलवा दे, वो लेखक तो विद्रूप है ही, लेकिन हिंदू भी बड़ा भोंडे किस्म का है.’’
शिवसेना (यूबीटी) का 'आदिपुरुष' को लेकर क्या है रिएक्शन?
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मुंतशिर के साथ फिल्म निर्देशक राउत को फिल्म में खासतौर पर भगवान हनुमान के लिए ‘सड़क छाप’ संवाद के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मनोरंजन के नाम पर जिस तरह से हमारे देवताओं के लिए भाषा का प्रयोग किया गया है वह सभी भारतीयों की भावनाओं को आहत करता है. अगर आप ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ राम पर फिल्म बनाते हैं और बॉक्स ऑफिस पर जल्द सफलता हासिल करने के लिए सभी मर्यादाओं का उल्लंघन करते हैं तो वह अस्वीकार्य है.’’
रामानंद सागर के बेटे मोती सागर ने क्या कुछ कहा?
दूरदर्शन पर प्रसारित लोकप्रिय ‘रामायण’ धारावाहिक के निर्देशकों में शामिल रहे रामानंद सागर के बेटे मोती सागर ने कहा कि पौराणिक महाकाव्य को बड़े पर्दे पर उतारने के दौरान ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं को अधिक ‘सतर्क रहना’ चाहिए था.
पिता रामानंद सागर और भाई प्रेम सागर के साथ वर्ष 1987 में ‘रामायण’ के सेट पर काम कर चुके मोती सागर ने कहा, ‘‘जिन संवादों के बारे में मैंने समाचार और ट्विटर पर पढ़ा है, उसे देखकर कह सकता हूं कि उन्हें सतर्क रहना चाहिए.’’
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