नई दिल्ली: देश के सबसे लंबे चले मुकदमे यानी अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था.


वहीं कोर्ट ने फैसला किया है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. हालांकि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं है. मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है.


जफरयाब जिलानी ने कहा,''सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट फैसले को चुनौती देगा. मैं फैसले से सहमत नहीं हूं.''


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.


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