नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि 'चुनावी बांड' से राजनीतिक चंदे की वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने लोकसभा को बताया कि ये बांड केवल पंजीकृत राजनीतिक दल को ही दिए जा सकते हैं.


जेटली ने कहा, "पारदर्शिता का तत्व यह है कि जो दानदाता इन बांड को खरीदेंगे, उनके बैलेंस शीट से पता चल जाएगा कि उन्होंने इनकी खरीद की है. राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास अपना टिन दाखिल करेंगे और सामूहिक रूप से प्राप्त बांडों की जानकारी भी देंगे." वित्त मंत्री ने आगे कहा, इससे दानदाताओं से एक नंबर का धन राजनीतिक दलों को प्राप्त होगा और पारदर्शिता आएगी.


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बारे में बताया "जब चंदे की रकम नकदी में दी जाती है तो धन के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती. दानदाता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती, कहां ये खर्च किए गए, इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिलती. इसलिए चुनावी बांड से वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी."


सरकार ने इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे को रोकने के लिए चुनावी बांड की घोषणा की थी.


चुनावी बांड चुनाव सुधार के प्रति सरकार के संकल्प को रेखांकित करते हैं : शाह


संसद में वित्त मंत्री अरूण जेटली के चुनावी बांड के विवरणों का खुलासा करने के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि चुनावी बांड को लाना चुनाव सुधार, राजनीति में भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति में शुचिता को प्रोत्साहन और सार्वजनिक जीवन में कालाधन के प्रभाव को समाप्त कर चुनाव सुधार करने के लिये प्रतिबद्ध हैं.


शाह ने सरकार की तरफ से इस दिशा में उठाए गए कदमों के तौर पर नोटबंदी की कवायद और राजनैतिक दलों को नकद चंदे की सीमा 2000 रुपए कर देने के फैसले को गिनाया.


शाह ने कहा, बीजेपी चुनाव सुधार के कदमों और सार्वजनिक जीवन में शुचिता बढ़ाने के कदमों की अगुवाई करेगी. वह राजनीति में काले धन का इस्तेमाल बंद करने के आंदोलन का नेतृत्व करेगी.